देश के लिए भूजल संकट, वनों के वर्तमान हालात, खेती की मौजूदा स्थिति और जैव विविधता की हालत चिंतनीय है और ऐसे दौर में इन महत्वपूर्ण कार्यो को करने के लिए कृतसंकल्पित होना निश्चित ही एक सराहनीय कार्य है। इन विषयों पर कार्य करने का आशय है कि आप उन मूल बिंदुओं को भांतिभांति जानते हैं कि संकट कितना बड़ा है और उसका सुधार किस तरह से मौजूदा दौर में एक प्रक्रिया के तहत किया जाना अनिवार्य है। देश को हरित क्रांति की ओर अग्रसर करने में सहयोगी भूमिका निभाते हुए उस जिम्मेदारी को पूरी ताकत से क्रियान्वयन तक पहुंचाने का कार्य आईटीसी लिमिटेड ITC द्वारा किया जा रहा है।
वनीकरण, जल प्रबंधन, जैव विविधता और स्थायी कृषि में अग्रणी कदम
ITC लिमिटेड आज केवल एक बहुराष्ट्रीय कंपनी नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण संतुलन और ग्रामीण सशक्तिकरण के लिए भी एक सशक्त पहचान बन चुकी है। कंपनी की कॉर्पोरेट सामाजिक ज़िम्मेदारी (CSR) की पहल विशेष रूप से वाटरशेड विकास, वनीकरण, सतत कृषि, और जैव विविधता के संरक्षण पर केंद्रित हैं। 1. समेकित जलग्रहण विकास (Integrated Watershed Development)
ITC का “Integrated Watershed Development Programme” भारत के सूखाग्रस्त और वर्षा आधारित कृषि क्षेत्रों के लिए एक वरदान साबित हो रहा है। इसके अंतर्गत:
– अब तक 13 लाख एकड़ (1.3 million acres) से अधिक भूमि पर जलग्रहण संरचनाएं विकसित की जा चुकी हैं।
– यह कार्यक्रम जल संग्रहण, भूजल पुनर्भरण, और सिंचाई क्षमता को बढ़ाता है।
– हजारों किसानों को स्मार्ट वाटर मैनेजमेंट और सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियों के लिए प्रशिक्षण दिया गया है।
2. सोशल एंड फार्म फॉरेस्ट्री प्रोग्राम – 800 मिलियन से अधिक पेड़ लगाए
ITC का “Social and Farm Forestry Programme” वनों की कटाई से हो रहे पारिस्थितिक असंतुलन को संतुलित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं:
– अब तक 800 मिलियन (80 करोड़) से अधिक पेड़ लगाए जा चुके हैं।
– यह कार्यक्रम भूमि पुनर्स्थापन, मिट्टी संरक्षण, और ग्रीन कवर को बढ़ाने में सहायक रहा है।
– स्थानीय किसानों को तेजी से बढ़ने वाली प्रजातियों की नर्सरी, तकनीकी मार्गदर्शन और बाजार से जोड़ने का भी सहयोग दिया गया है।
3. सतत कृषि और जैव विविधता का संरक्षण
ITC का मिशन है – “सतत कृषि के ज़रिए सुरक्षित भविष्य।” इसके अंतर्गत:
– किसानों को क्लाइमेट-स्मार्ट फार्मिंग तकनीक, कम इनपुट-उच्च उत्पादन प्रणाली और ऑर्गेनिक खेती में प्रशिक्षित किया जाता है।
– कंपनी जैव विविधता को संरक्षित रखने के लिए स्थानीय प्रजातियों, परागणकर्ता कीड़ों, और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा पर विशेष ध्यान देती है।
– एग्रो-फॉरेस्ट्री मॉडल के ज़रिए खेती और पेड़-पौधों के संतुलित सह-अस्तित्व को बढ़ावा दिया गया है।
ITC लिमिटेड की CSR पहलों ने पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक विकास को भी गति दी है। जलग्रहण क्षेत्रों का विकास हो, लाखों पेड़ों का रोपण, या फिर जैव विविधता की रक्षा — ITC का हर कदम एक सतत और हरित भविष्य की ओर अग्रसर है। आज जब पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन और संसाधनों के संकट का सामना कर रही है, ऐसे में ITC जैसे संस्थानों की भूमिका अत्यंत सराहनीय है।
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