Become a Member & enjoy upto 50% off
Enjoy Free downloads on all over the world
Welcome to Prakriti Darshan
Nature Lover - Subscribe to our newsletter
Donate for greener & cleaner earth
Welcome to Prakriti Darshan
Join our Community
Indian Vulture Bird

Indian Vulture Bird की प्रमुख प्रजातियाँ, पारिस्थितिकीय भूमिका और बचाव”

Indian Vulture Bird (इंडियन वल्चर बर्ड) एक ऐसा पक्षी  जो पारिस्थितिकी तंत्र में सफाईकर्मी की अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कभी आकाश में मंडराते ये गिद्ध भारतीय उपमहाद्वीप में सर्वत्र पाए जाते थे, लेकिन अब इनकी संख्या में भारी गिरावट आई है। इस लेख में हम इंडियन वल्चर बर्ड की प्रजातियाँ, जीवनशैली, पारिस्थितिकीय भूमिका, संकट के कारण, और संरक्षण के प्रयासों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।  “Indian Vulture Bird की प्रमुख प्रजातियाँ, पारिस्थितिकीय भूमिका और बचाव” को समझना बेहद जरुरी है।

Indian Vulture Bird -(इंडियन वल्चर बर्ड):  परिचय

ndian Vulture Bird -(इंडियन वल्चर बर्ड) जो मुख्यतः मृत पशुओं का मांस खाता है। उड़ने में दक्ष और सामाजिक प्रवृत्ति वाला पक्षी है।  इसे हिंदी में ‘गिद्ध’ कहा जाता है।  यह प्रकृति के सफाईकर्मी के रूप में जाने जाते हैं।

सारांश (Summary)

इंडियन वल्चर बर्ड भारत में पाई जाने वाली नौ गिद्ध प्रजातियों में से तीन प्रमुख प्रजातियाँ गंभीर संकट में हैं।

इनकी जनसंख्या में 1990 के दशक के बाद 95% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई।

यह पक्षी पारिस्थितिक तंत्र में मृत पशुओं को खाकर संक्रमण और महामारी से रक्षा करता है।

डाइक्लोफेनेक नामक दर्द निवारक दवा इनकी मृत्यु का प्रमुख कारण है।

भारत सरकार और संरक्षण संस्थाओं द्वारा अनेक पुनरुद्धार कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

(Indian Vulture Bird- इंडियन वल्चर बर्ड) प्रमुख प्रजातियाँ Major Species of (Indian Vulture Bird)

भारत में पाए जाने वाले गिद्धों की नौ प्रजातियाँ हैं, जिनमें से तीन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं:

1. इंडियन वल्चर (Gyps indicus)

यह मध्य और उत्तरी भारत में पाया जाता है।

इसकी गर्दन पर सफेद रिंग और गहरे भूरे पंख होते हैं।

2. स्लेंडर-बिल्ड वल्चर (Gyps tenuirostris)

यह भारत, नेपाल और दक्षिण-पूर्व एशिया में पाया जाता है।

इसकी चोंच पतली और लंबी होती है।

3. व्हाइट-बैक्ड वल्चर (Gyps bengalensis)

यह सबसे आम था, लेकिन अब सबसे अधिक संकटग्रस्त है।

(Indian Vulture Bird )- इंडियन वल्चर बर्ड (जनसंख्या)  में गिरावट के आंकड़े (Decline in Population)

वर्ष    अनुमानित गिरावट

1990      सामान्य जनसंख्या

2000      90% तक गिरावट

2007      99% से अधिक गिरावट

गिद्धों की यह गिरावट पूरी दुनिया में सबसे तेज़ गिरावट मानी जाती है।

Diclofenac गिद्धों के लिए मौत की दवा (Diclofenac – The Killer Drug)

डाइक्लोफेनेक एक पशुओं के इलाज में प्रयोग होने वाली दवा है, जो गिद्धों के लिए विषैली साबित हुई। यह दवा जब मरे हुए जानवरों के शरीर में होती है और गिद्ध उसे खाते हैं, तो उनके गुर्दे फेल हो जाते हैं।

(Indian Vulture Bird)- इंडियन वल्चर बर्ड पारिस्थितिकी में भूमिका Ecological Role of (Indian Vulture Bird)

प्राकृतिक सफाईकर्मी: मृत पशुओं को खाकर वातावरण को रोगमुक्त बनाए रखना।

रोग नियंत्रण: रैबीज, एंथ्रेक्स जैसी बीमारियों के प्रसार को रोकना।

शिकारी जानवरों की संख्या को नियंत्रित करना।

गिद्धों की घटती संख्या से समाज को नुकसान

1.     कुत्तों की संख्या में वृद्धि: मृत पशु गिद्ध नहीं खा पाते तो कुत्ते खाते हैं, जिससे रैबीज का खतरा बढ़ता है।

2.     महामारियों का खतरा: खुले में सड़ते शव संक्रमण फैला सकते हैं।

3.     संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं को आघात: पारसी समुदाय की ‘टॉवर ऑफ साइलेंस’ परंपरा प्रभावित।

Indian Vulture Bird- (इंडियन वल्चर बर्ड प्राकृतिक आवास) (Habitat of Indian Vulture Bird)

वितरण क्षेत्र: भारत, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान।

प्राकृतिक आवास: शुष्क खुले क्षेत्र, जंगल की सीमाएँ, चट्टानें और ऊँचे वृक्ष।

घोंसला: ऊँचे पेड़ों और चट्टानों पर बनाते हैं।

“Indian Vulture Bird इंडियन वल्चर बर्ड संरक्षण प्रयास (Conservation Efforts)

1. डाइक्लोफेनेक पर प्रतिबंध (Ban on Diclofenac)

2006 में भारत सरकार ने पशु चिकित्सा में इसके उपयोग पर रोक लगाई।

2. ब्रीडिंग केंद्र (Vulture Breeding Centers)

पिंजौर (हरियाणा), भोपाल, हैदराबाद में ब्रीडिंग और रिहैबिलिटेशन केंद्र।

सुरक्षित आबादी तैयार की जा रही है (captive-breeding) के ज़रिए ।

3. SAVE Program (Saving Asia’s Vultures from Extinction)

विभिन्न एनजीओ और सरकारों का संयुक्त कार्यक्रम।

वल्चर अवेयरनेस डे (Vulture Awareness Day)

सितंबर के पहले शनिवार को हर वर्ष  (International Vulture Awareness Day) मनाया जाता है ताकि इनके संरक्षण को लेकर जागरूकता फैलाई लाई जा सके।

भारत में संरक्षण से जुड़े कानून

वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के तहत गिद्धों को संरक्षित प्रजातियों में रखा गया है।

संरक्षित क्षेत्र घोषित किए गए हैं जहाँ इनके प्राकृतिक आवासों को पुनः विकसित किया जा रहा है।

 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

Q1: “Indian Vulture Bird इंडियन वल्चर बर्ड क्यों लुप्त हो रही है?

उत्तर: डाइक्लोफेनेक दवा, भोजन की कमी और प्राकृतिक आवास का नाश इसके प्रमुख कारण हैं।

Q2: क्या गिद्ध इंसानों के लिए खतरनाक होते हैं?

उत्तर: नहीं, गिद्ध केवल मृत जानवरों को खाते हैं और इंसानों के लिए लाभदायक होते हैं।

Q3: गिद्ध कितने समय तक जीवित रहते हैं?

उत्तर: प्राकृतिक स्थिति में गिद्ध 30-40 वर्षों तक जीवित रह सकते हैं।

Q4: भारत में गिद्ध कहां पाए जाते हैं?

उत्तर: मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र में इनकी मौजूदगी देखी जाती है।

 निष्कर्ष (Conclusion)

इंडियन वल्चर बर्ड (Indian Vulture Bird) न केवल पारिस्थितिकी तंत्र के लिए आवश्यक हैं, बल्कि मानव स्वास्थ्य और सांस्कृतिक संरचना के लिए भी महत्त्वपूर्ण हैं। यदि इन्हें समय रहते नहीं बचाया गया तो यह न केवल जैव विविधता का नुकसान होगा बल्कि मानवीय समाज के लिए गंभीर संकट का कारण बन सकता है।

हमें इनके संरक्षण हेतु जन-जागरूकता, चिकित्सा में वैकल्पिक दवाओं का प्रयोग, और आवासों का पुनर्संरक्षण करना आवश्यक है। यह प्रकृति के सच्चे योद्धा हैं – मौन, मगर अत्यंत आवश्यक।

 संदर्भ सूची (References)

  1. Ministry of Environment, Forest and Climate Change – moef.gov.in
  2. Bombay Natural History Society (BNHS) – www.bnhs.org
  3. SAVE Program – www.save-vultures.org
  4. Wildlife Protection Act, 1972
  5. International Vulture Awareness Day – www.vultureday.org

PRAKRITI DARSHAN-NATURE AND ENVIRONMENT MAGAZINE

प्रकृति दर्शन  एक प्रमुख  ( हिंदी ) पत्रिका और डिजिटल मंच है।

पर्यावरण संरक्षण से जुड़े विषयों पर जनजागरूकता फैलाने का कार्य करता है।

यह पत्रिका विज्ञान, समाज और संवेदना का संगम है।

जो शोधकर्ताओं, छात्रों, एनजीओ, नीति निर्माताओं, प्रकृति प्रेमियों और जागरूक नागरिकों को एक साझा मंच प्रदान करती है।

आइए हम सब मिलकर इस पृथ्वी को संरक्षित और सुंदर बनाएँ। 🌿🌍

Join us in our mission to protect and celebrate the planet. 🌏💚

Click for more information :

🎗️Sponsor Prakriti Darshan Magazine – Support our environment mission.

SANDEEP KUMAR SHARMA,

EDITOR IN CHIEF,

PRAKRITI DARSHAN-NATURE AND ENVIRONMENT MAGAZINE www.prakritidarshan.com



Leave a Reply

Shopping cart

0
image/svg+xml

No products in the cart.

Continue Shopping