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पर्यावरण: जीवन का आधार

पर्यावरण Environment : जीवन का आधार

यह लेख पर्यावरण (Environment) की महत्ता, आज की चुनौतियों और हमारे कर्तव्यों को भावनात्मक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत करता है। यह न केवल एक चेतावनी है, बल्कि एक प्रेरणा है कि हम अपने ग्रह (Planet Earth) की रक्षा के लिए एकजुट हों। आइए समझते हैं कि क्यों पर्यावरण सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि हमारे अस्तित्व की आत्मा है।

प्रस्तावना (Introduction)

जब हम “पर्यावरण” (Environment) शब्द सुनते हैं, तो अक्सर पेड़-पौधे, नदियाँ और पहाड़ों की छवि हमारे मन में आती है। परंतु यह इससे कहीं अधिक व्यापक और गहन है। पर्यावरण हमारे चारों ओर की वह प्राकृतिक व्यवस्था है जिसमें हम सांस लेते हैं, जीवन जीते हैं और अपने भविष्य का निर्माण करते हैं। आज, इसी पर्यावरण को हमारी सबसे अधिक ज़रूरत है — हमारी सुरक्षा की।

पर्यावरण क्या है? (What is Environment?)

पर्यावरण (Environment) में जैविक (Biotic) और अजैविक (Abiotic) घटक आते हैं – जैसे कि वायु (Air), जल (Water), मृदा (Soil), पौधे (Plants), जानवर (Animals) और मानव (Humans)। यह एक जटिल पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) है, जहाँ हर तत्व एक-दूसरे से जुड़ा है।

 वर्तमान पर्यावरणीय संकट (Current Environmental Crisis)

  1. जलवायु परिवर्तन (Climate Change):
    बढ़ते तापमान, ग्लेशियरों का पिघलना और समुद्र का बढ़ता स्तर यह सब इस संकट के सूचक हैं।
  2. वायु प्रदूषण (Air Pollution):
    दिल्ली जैसे महानगरों में सांस लेना भी कठिन हो गया है।
  3. जल संकट (Water Crisis):
    गाँव हो या शहर, पीने के पानी की कमी अब आम बात हो गई है।
  4. वनों की कटाई (Deforestation):
    हर मिनट सैकड़ों पेड़ काटे जा रहे हैं।
  5. प्लास्टिक प्रदूषण (Plastic Pollution):
    यह ज़हरीला प्लास्टिक हमारे महासागरों में जीवों को निगल रहा है।

हमारी भूमिका (Our Role)

यह सोचना कि केवल सरकार या पर्यावरणविद (Environmentalists) ही इसे सुधार सकते हैं, गलत है। हर नागरिक की इसमें भूमिका है।
हम क्या कर सकते हैं:

  • अपने घरों में जल और ऊर्जा की बचत करें।
  • वृक्षारोपण (Tree Plantation) करें।
  • एकल-उपयोग प्लास्टिक (Single-use Plastic) का उपयोग बंद करें।
  • बच्चों को प्रकृति से जोड़ें।
  • स्थानीय जैव विविधता (Biodiversity) की रक्षा करें।

महत्वपूर्ण अवलोकन (Important Observations)

  • पर्यावरणीय शिक्षा (Environmental Education) अब केवल स्कूल का विषय नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला हो गई है।
  • जो समाज प्रकृति से कट जाता है, वह खुद के अस्तित्व को खो देता है।
  • स्थानीय ज्ञान और परंपराएँ (Traditional Ecological Knowledge) पर्यावरण संरक्षण में सहायक हो सकती हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1: पर्यावरण संरक्षण (Environmental Conservation) क्यों आवश्यक है?
उत्तर: यह हमारे स्वास्थ्य, जीवन और भविष्य की सुरक्षा के लिए अनिवार्य है।

Q2: मैं व्यक्तिगत रूप से क्या कर सकता हूँ?
उत्तर: जल, ऊर्जा की बचत करें, वृक्ष लगाएँ, प्लास्टिक से दूर रहें और दूसरों को जागरूक करें।

Q3: क्या जलवायु परिवर्तन को रोका जा सकता है?
उत्तर: इसे पूरी तरह रोका नहीं जा सकता, लेकिन हमारे प्रयासों से इसकी गति को कम किया जा सकता है।

Q4: बच्चों को पर्यावरण के प्रति कैसे संवेदनशील बनाएं?
उत्तर: उन्हें प्रकृति से जोड़ें, पौधे लगवाएं, वृत्तचित्र दिखाएं और कहानियों के माध्यम से समझाएं।

संदर्भ (References)

  1. Ministry of Environment, Forest and Climate Change (भारत सरकार)
  2. Intergovernmental Panel on Climate Change (IPCC) Reports
  3. Prakriti Darshan – www.prakritidarshan.com
  4. UNEP – United Nations Environment Programme
  5. NGT – National Green Tribunal India

प्रकृति हमें देती है सब कुछ, बिना किसी स्वार्थ के। आज, ज़रूरत है कि हम उस ऋण को चुकाएं। पर्यावरण की रक्षा करना, धरती माँ (Mother Earth) के लिए हमारा कर्तव्य (Duty) और संविधानिक अधिकार (Constitutional Right) दोनों है।


आइए, हम सब मिलकर यह संकल्प लें —
धरती की रक्षा, हमारी सबसे बड़ी सेवा है।

अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो कृपया www.prakritidarshan.com पर जाएँ और हमें अपने सुझाव और विचार भेजें।


Sandeep Kumar Sharma
Editor-in-Chief
Prakriti Darshan International Journal of Nature and Environment
(ISSN 2581-83921) RNI- UPHIN/2018/76392

Sandeep Kumar Sharma

2 comments

    Thanks for highlighting the environment challenges

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