Description
“हमारे पास जलपुरुष (Waterman) हैं: सूखे में भी पानी बोया जा सकता है”
🌎 पानी: आज का सबसे बड़ा वैश्विक संकट
आज जब पूरी दुनिया जल संकट की गंभीर स्थिति का सामना कर रही है, तब यह सवाल स्वाभाविक है—दुनिया का भविष्य पानी के बिना कैसा होगा? जवाब सीधा है—यदि वर्तमान की लापरवाही और उपेक्षा जारी रही, तो भविष्य निस्संदेह बेपानी ही होगा।
🌳 नेतृत्व का अभाव और प्रकृति की अनदेखी
दुर्भाग्यवश, पानी और पर्यावरण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर दुनिया में नेतृत्व का स्पष्ट अभाव है। सत्ता के पास बैठे लोग न तो प्रकृति को समझते हैं, न ही जल के महत्व को। दूसरी ओर, जिनके पास जल और पर्यावरण के लिए समर्पित दृष्टिकोण है, वे व्यवस्था से संघर्ष कर रहे हैं। यही कारण है कि आज जल जैसे मुद्दों पर Waterman जैसे व्यक्तित्वों की ओर दुनिया उम्मीद से देख रही है।
🌍 जल संकट के बीच एक प्रकाशपुंज: हमारे जलपुरुष
जब पूरी दुनिया जल संकट की ओर बढ़ रही है, तब यह राहत की बात है कि हमारे पास जलपुरुष (Waterman) हैं—राजेंद्र सिंह जी, जिन्होंने जीवन समर्पित किया है नदियों के पुनर्जन्म और जल संस्कृति की पुनर्स्थापना के लिए।
वे नदियों को पुनः जीवंत करने का बीड़ा उठाए हुए हैं। वे सिर्फ पानी नहीं ला रहे, बल्कि एक ऐसा समाज गढ़ रहे हैं जो अंदर से भी पानीदार हो। वे बता रहे हैं कि सूखे में भी पानी बोया जा सकता है—विचारों के रूप में, संस्कारों के रूप में, और कर्म के रूप में।
🌿 जल के प्रति जागरूकता का बीज
राजेंद्र सिंह जी केवल कार्य नहीं कर रहे, वे संस्कार बो रहे हैं—नदी, जल और प्रकृति के लिए एक संवेदनशील सोच को जन्म दे रहे हैं। वे भारत की जल-परंपरा को वैश्विक मंच पर ले जा रहे हैं और यह दिखा रहे हैं कि कैसे एक इंसान भी जल क्रांति का वाहक बन सकता है।
Waterman शब्द से दुनिया उन्हें जानती है, लेकिन हम उन्हें ‘पानी वाले बाबा’ के नाम से याद करते हैं—जिनकी हर मुस्कान जल से जुड़ी है, हर संघर्ष नदी के लिए है, और हर विचार प्रकृति के लिए है।
🚿 कठिन राह पर भी अडिग हैं जलपुरुष
राजेंद्र सिंह जानते हैं कि उनका रास्ता आसान नहीं है। यह एक सूखी, दरारों से पटी हुई और तपती हुई राह है, लेकिन वे थकते नहीं हैं। उनके साथ युवाओं की एक लहर है, जो उनके विचारों को आगे बढ़ा रही है।
वे चिंतित हैं नदियों की दुर्दशा से, आहत हैं नदियों में बहते प्रदूषण से। परंतु जब कभी भी एक नदी वापस धरती पर बहने लगती है, उनकी आँखों में उम्मीद की चमक और मुस्कान साफ दिखती है।
🌧️ मुस्कान में छुपी क्रांति
राजेंद्र सिंह जी मुस्कुराते हैं जब:
- कोई नदी पुनर्जीवित होती है।
- कोई गांव वर्षा संचयन की शुरुआत करता है।
- कोई किसान अपने हरे खेत देखकर प्रसन्न होता है।
- जल-चेतना के बीज अंकुरित होते हैं।
यह मुस्कान सिर्फ संतोष की नहीं, बल्कि एक गहरी जल क्रांति की पहचान है।
🏆 सम्मान, संस्कार और आत्मावलोकन
मैग्सेसे अवॉर्ड से सम्मानित राजेंद्र सिंह जी का कार्य केवल एक व्यक्ति की उपलब्धि नहीं है, यह एक आंदोलन है। उन्होंने न केवल धरती को पानी दिया, बल्कि समाज को जल-संस्कार भी दिए।
आज सवाल यह नहीं है कि उन्होंने क्या किया, बल्कि यह है कि हमने उनकी बातों से क्या सीखा? क्या उनके विचार और संस्कार हमारे व्यवहार में उतर रहे हैं?
📖 ‘प्रकृति दर्शन‘ का विशेष अंक
‘प्रकृति दर्शन’ के नवंबर 2020 अंक को हमने पूरी तरह जलपुरुष (Waterman) राजेंद्र सिंह जी को समर्पित किया। यह हमारा कर्तव्य है कि हम न केवल उन्हें जानें, बल्कि उन्हें यह महसूस कराएं कि वे इस देशवासियों के मन में क्या स्थान रखते हैं।
PRAKRITI DARSHAN-NATURE AND ENVIRONMENT MAGAZINE
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SANDEEP KUMAR SHARMA,
EDITOR IN CHIEF,
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