Previous
Previous Product Image

DECEMBER 2023 वैकल्पिक ऊर्जा

Original price was: ₹25.00.Current price is: ₹24.00.
Next

January 2022 नववर्ष में हो नवसृजन

Original price was: ₹25.00.Current price is: ₹24.00.
Next Product Image

March 2025 ऋतुओं का संधिकाल

Original price was: ₹25.00.Current price is: ₹24.00.

पीली उम्र और पीले पत्तों की एक सी दास्ता है। पीले पत्ते आखिकार वृक्ष से गिर जाते हैं और एक दिन उम्रदराज शरीर भी थककर हमेशा के लिए शून्य में समा जाता है। जीवन में प्रकृति और प्रकृति का जीवन से गहरा नाता है। बात ऋतुओं के संधिकाल की करें तो हम पाएंगे कि अब सबकुछ पहले की तरह नहीं है। बदल रहा है, मौसम के चक्र में काफी परिवर्तन हो रहा है। सोचिएगा कुछ साल पूर्व तब जब मौसम चक्र अपनी तरह से, अपने समय से अग्रसर होता था और उस दौरान सबकुछ कितना सुखद था, लेकिन अब आखिर वह सुख और सुखद अहसास कहीं न कहीं गहरी कसक में तब्दील होते जा रहे हैं। सोचना होगा कि हम उस चक्र और उस महत्वपूर्ण संधिकाल के समय के गड़बड़ होने पर खामोश रहे, नहीं जागे तो इससे असंख्य खतरे सामने आएंगे जिनसे बचना हमारे बस की बात नहीं रह जाएगी।

Add to Wishlist
Add to Wishlist

Description

ऋतुओं का संधिकाल

ऋतुओं के बिना इस प्रकृति की कल्पना असंभव है, ऋतुओं के बदलाव का समय और प्रकृति में आने वाले बदलाव जरूरी भी हैं और आवश्यक भी। ऋतु बदलती है तब यह मानिए कि प्रकृति अपनी योजना का क्रियान्वयन कर रही होती है और प्रकृति का यह क्रियान्वयन उन असंख्य प्राणियां, जीवों के जीवन से सीधे तौर पर जुड़ा है और उन्हें प्रभावित करता है।
सोचिएगा कि प्रकृति के इस चक्र पर गर्मी, बारिश, शीत सभी निर्भर हैं और इनका होना सभी के लिए कितना जरुरी है क्योंकि असंख्य जीव इन सभी मौसम के होने पर जन्मते हैं और उनका शारीरिक विकास होता है। ये जीवन पाते हैं और भोजन भी। ऐसे ही इनका असर मानव जीवन भी होता है। हम जब अधिक ठिठुरन से भर जाते हैं उसके कुछ समय बाद ग्रीष्म का समय आता है, ये ग्रीष्म हमारे अंदर की ठिठुरन और सीलन खत्म कर जाता है। जब हम अधिक तप जाते हैं, सूखने लगते हैं तब बारिश की दस्तक होती है और हम अंदर तक भीग जाते हैं, शीतलता पाते हैं। सोचिएगा ग्रीष्म के बाद बारिश में देरी हो जाए और बारिश न थमे और जारी रहे तब क्या होगा ? सबकुछ नियंत्रण के बाहर हो जाएगा।
ऋतुओं का संधिकाल बहुत महत्वपूर्ण समय होता है। इस दौरान कुछ पुराना छूटता है और कुछ नया जुड़ता है। छूटने और नया जुड़ने के इस दौर को, इस कालखंड को बहुत ही गंभीरता और गहनता से समझा जाना जरुरी है। परिवर्तन के समय अत्यधिक उथल पुथल पूरा सिस्टम प्रभावित कर सकती है। हम प्रकृति के मौसम चक्र को समझ सकते हैं और उसी चक्र के बीच इस संधिकाल को भी समझना आरंभ करना चाहिए। हमें समझना होगा कि ऋतुओं का संधिकाल मौसम की मर्जी के अनुसार हो और उसी समय में हो और उतने समय के लिए हो जितना जरुरी है। वसंत का समय यदि घटता है या आगे बढ़ता है दोनों ही स्थितियों में चिंताजनक है। सोचिएगा और संधिकाल को अवश्य पढ़िएगा, बेहतर होगा उसे समझकर सभी को समझाने का भी प्रयास करेंगे।

बदलाव प्रकृति का नियम है और इसे हम स्वीकार करें और उसे उसी के अनुरूप अपना लें इसी में सभी की भलाई है। वैसे भी प्रकृति और हमारे जीवन चक्र में बहुत कुछ समानताएं हैं। सोचिएगा ऐसा ही तो हमारे जीवन में भी होता है, हम बचपन में मिट्टी की भांति नर्म और सहज होते हैं, जिस तरह मिट्टी को किसी भी आकार में ढाला जा सकता है, बचपन में हमें भी किसी भी तरह से गढ़ा जा सकता है। उम्र के बढ़ने पर एक दौर हरियाली का आता है और हरेपन में हमें अपने जीवन के समृद्वि की राह नजर आती है। उम्र हरेपन के बाद हल्की पीली होकर अनुभव का खजाना होने लगती है फिर पत्तों के पीलेपन की भांति उम्र पूरी तरह पक जाती है। पीली उम्र और पीले पत्तों की एक सी दास्ता है।
पीले पत्ते आखिकार वृक्ष से गिर जाते हैं और एक दिन उम्रदराज शरीर भी थककर हमेशा के लिए शून्य में समा जाता है। जीवन में प्रकृति और प्रकृति का जीवन से गहरा नाता है। बात ऋतुओं के संधिकाल की करें तो हम पाएंगे कि अब सबकुछ पहले की तरह नहीं है। बदल रहा है, मौसम के चक्र में काफी परिवर्तन हो रहा है। सोचिएगा कुछ साल पूर्व तब जब मौसम चक्र अपनी तरह से, अपने समय से अग्रसर होता था और उस दौरान सबकुछ कितना सुखद था, लेकिन अब आखिर वह सुख और सुखद अहसास कहीं न कहीं गहरी कसक में तब्दील होते जा रहे हैं। सोचना होगा कि हम उस चक्र और उस महत्वपूर्ण संधिकाल के समय के गड़बड़ होने पर खामोश रहे, नहीं जागे तो इससे असंख्य खतरे सामने आएंगे जिनसे बचना हमारे बस की बात नहीं रह जाएगी।

संदीप कुमार शर्मा, प्रधान संपादक,
प्रकृति दर्शन, राष्ट्रीय मासिक पत्रिका

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “March 2025 ऋतुओं का संधिकाल”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Shopping cart

0
image/svg+xml

No products in the cart.

Continue Shopping