Prakriti Darshan | Nature & Environment News | 03 July 2025
हिमाचल प्रदेश में वर्तमान में पर्यावरणीय स्थिति कैसी है? “Himachal Natural Disaster”
2024-25 के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 100 वर्षों में 1.6 डिग्री सेल्सियस औसत तापमान तक बढ़ चुका है। हिमाचल प्रदेश आज जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की चपेट में आ चुका है, स्वच्छ आबोहवा के लिए पहचाना जाने वाला हिमाचल आज संकट के गहरे जद में हैं। 1.6 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने का सीधा असर बर्फबारी, बारिश के पैटर्न, जल स्रोतों और (पारिस्थितिकी तंत्र ) पर पड़ा है। हाल ही में राज्य के कई हिस्सों में भूस्खलन, अचानक बाढ़ और ग्लेशियर पिघलने की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है। “Himachal Natural Disaster”

यह तापमान वृद्धि क्यों हो रही है? कौन से प्रमुख कारण हैं? “Himachal Natural Disaster”
1. मानवजनित गतिविधियाँ: औद्योगिकीकरण, वनों की कटाई और अनियंत्रित शहरीकरण ने प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ा है।
2. पर्यटन का अत्यधिक दबाव: हर साल लाखों पर्यटक पहाड़ों की ओर रुख करते हैं, जिससे स्थानीय पारिस्थितिकी पर भारी दबाव पड़ता है।
3. बदलती बर्फबारी और वर्षा: पारंपरिक मौसम चक्र में भारी परिवर्तन हुआ है; जिससे जल स्रोत समय से पहले सूख रहे हैं या बाढ़ ला रहे हैं।
4. कार्बन उत्सर्जन और वैश्विक गर्मी: हिमालयी क्षेत्र वैश्विक तापमान में वृद्धि का तेजी से असर झेल रहा है।
क्या इसका असर सिर्फ पर्यावरण पर हो रहा है?
बिल्कुल नहीं। जलवायु परिवर्तन का असर केवल पेड़-पौधों या बर्फबारी तक सीमित नहीं है। इसका सीधा असर:
कृषि और सेब उत्पादन पर हो रहा है।
पेयजल स्रोतों के सूखने से आम जनता प्रभावित हो रही है।
सड़कें टूट रही हैं, जिससे जनजीवन बाधित हो रहा है।
स्थानीय जीव-जंतुओं की प्रजातियाँ संकट में हैं।
वैश्विक स्तर पर इससे निपटने के लिए कौन से प्रयास हो रहे हैं?
“संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क (UNFCCC) के तहत पेरिस समझौते में यह महत्वपूर्ण लक्ष्य निर्धारित किया गया है कि वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5°C से नीचे नियंत्रित किया जाए, और इसे हासिल करने के लिए वैश्विक स्तर पर व्यापक प्रयास जारी हैं।”
IPCC रिपोर्ट के माध्यम से वैज्ञानिक डेटा और चेतावनी को सामने लाया गया है।
भारत ने भी नेशनल एक्शन प्लान ऑन क्लाइमेट चेंज (NAPCC) लागू किया है, जिसमें हिमालयी पारिस्थितिकी पर विशेष मिशन चलाए जा रहे हैं।
हिमाचल सरकार द्वारा ग्रीन नीति, इको-टूरिज्म और आपदा प्रबंधन योजनाएं लागू की जा रही हैं।
अब ज़रूरत किस बात की है?
स्थानीय जागरूकता बढ़ाने की, ताकि आम नागरिक भी अपने स्तर पर बदलाव ला सकें।
सतत पर्यटन और पर्यावरण अनुकूल निर्माण तकनीकों को बढ़ावा देने की।
वृक्षारोपण, जल संरक्षण, और स्थानीय विज्ञान-आधारित नीति निर्धारण की।
सारांश
यह केवल हिमाचल ही नहीं, बल्कि भारत और पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी है। 100 वर्षों में 1.6°C तापमान वृद्धि ने पूरे हिमाचल प्रदेश के पर्यावरणीय ढांचे को हिला दिया है। अब ज़रूरत है कि स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर एकजुट होकर जलवायु संकट को रोका जाए। प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर ही भविष्य को सुरक्षित रखा जा सकता है।
संदर्भ (References):
- Intergovernmental Panel on Climate Change (IPCC) Sixth Assessment Report, 2023
- Indian Meteorological Department (IMD) – Climate Trends in Himachal Pradesh 2024
- State Disaster Management Authority (SDMA), Himachal Pradesh – Annual Report
- Ministry of Environment, Forest and Climate Change, Government of India
- United Nations Environment Programme (UNEP) Climate Change Updates 2024
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