भारत (गुजरात) में असियाटिक शेरों की संख्या 2020 से बढ़कर 2025 में 674 से 891 हो गई है—जो 32.2% की वृद्धि दर्शाती है। यह वृद्धि 35,000 वर्ग किमी में फैली शेरों की आबादी और नए कॉरिडोर क्षेत्रों—जैसे बर्डा अभयारण्य—में विस्तार के कारण संभव हो पाई । यह लेख शेरों के संरक्षण और संख्या वृद्धि की स्थिति को रेखांकित करता है। “Conservation of Lions”
भारत में शेर संरक्षण की रणनीतियाँ—जैसे ग्रामीण संरक्षण, नए कॉरिडोर बनाने और अभयारण्यों का विस्तार—सफल साबित हो रही हैं। गिर वन्यजीव क्षेत्र को पार करते हुए शेर अब बर्डा समेत अन्य इलाकों में भी फैल रहे हैं। यह न केवल संख्या में वृद्धि बल्कि व्यापक भू-आबादी में फैलाव का संकेत है।
उल्लेखनीय वृद्धि वाले देशों में सफलता की कहानी
पिछले कुछ वर्षों में कई देशों ने शेरों की संख्या बढ़ाने में उल्लेखनीय सफलता पाई है। उदाहरण के तौर पर, भारत में एशियाई शेरों की संख्या गुजरात के गिर अभयारण्य में लगातार बढ़ रही है। यह संभव हुआ सख्त कानूनी संरक्षण, स्थानीय समुदायों की भागीदारी और शिकार पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने से।
इसी तरह, बोत्सवाना और दक्षिण अफ्रीका में शेरों के लिए संरक्षित नेशनल पार्क, शिकार नियंत्रण, और शेरों के पुनर्वास कार्यक्रमों ने बड़ी भूमिका निभाई। इन देशों ने न केवल उनके प्राकृतिक आवासों का विस्तार किया बल्कि मानव-वन्यजीव संघर्ष को भी कम करने के लिए जागरूकता अभियान चलाए।
इन प्रयासों का नतीजा यह हुआ कि शेरों की संख्या न सिर्फ स्थिर हुई बल्कि कई इलाकों में तेजी से बढ़ी। यह इस बात का प्रमाण है कि यदि सही रणनीति, संरक्षण नीति और स्थानीय समर्थन मिले तो विलुप्ति के कगार पर पहुंचे जीव भी फिर से अपनी दहाड़ बुलंद कर सकते हैं। “Conservation of Lions”
क्या भारत शेर संरक्षण में सफल रहा है?
हाँ—गुजरात में असियाटिक शेरों की संख्या 674 से बढ़कर 891 हुई है, जो हालिया Lion Census (2025) की रिपोर्ट में स्पष्ट है । शेरों का आवास सीमा 30,000 से बढ़कर 35,000 वर्ग किमी हो गया है ।
क्या नए क्षेत्र शेरों का आवास बन रहे हैं? “Conservation of Lions”
बीडा (Barda Wildlife Sanctuary), जेटपुर, बब्र–जसदान और कोस्टल इलाकों में शेर पाए जा रहे हैं, जिससे नए सैटेलाइट आबादी केंद्रों का निर्माण हो रहा है ।
गुजरात के गिर अभयारण्य में शेरों की सफलता की कहानी
गुजरात का गिर अभयारण्य आज एशियाई शेरों की सुरक्षित पनाहगाह के रूप में दुनिया भर में प्रसिद्ध है। पिछले एक दशक में यहाँ शेरों की संख्या में लगातार वृद्धि दर्ज की गई है। यह सफलता कई कारकों के संगठित प्रयास का परिणाम है — जैसे कि सख्त कानूनी संरक्षण, शिकार पर पूर्ण प्रतिबंध, जंगल के भीतर और आसपास मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए विशेष योजनाएँ, और स्थानीय सक्रिय सहयोग। वन विभाग ने आधुनिक तकनीक से निगरानी, पानी के स्रोतों का विस्तार, और बीमार शेरों के लिए त्वरित चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध कराकर उनके जीवन चक्र को सुरक्षित बनाया है। परिणामस्वरूप, गिर का जंगल आज न केवल शेरों का घर है, बल्कि यह संरक्षण का एक जीवंत उदाहरण भी है कि प्रतिबद्धता और साझेदारी से किसी भी प्रजाति को विलुप्ति से बचाया जा सकता है।
तालिका 1: भारत में शेरों की संख्या और वृद्धि (2010–2025) “Conservation of Lions”
वर्ष | अनुमानित संख्या | बदलाव (%) |
2010 | 411 | — |
2015 | 523 | +27.2 % |
2020 | 674 | +28.9 % |
2025 | 891 | +32.2 % |
तालिका 2: भारत में क्षेत्रीय विस्तार और संरक्षित स्थानों में शेर “Conservation of Lions”
क्षेत्र / अभयारण्य | 2020 संख्या | 2025 संख्या | परिवर्तन |
गिर राष्ट्रीय उद्यान व संलग्न क्षेत्र | 334 | 384 | +15% |
मितियाला अभयारण्य | 16 | 32 | +100% |
पानिया अभयारण्य | 10 | 10 | — |
गिरनार अभयारण्य | 56 | 54 | −4% |
दक्षिण-पश्चिम तट | 20 | 25 | +25% |
दक्षिण-पूर्व तट | 67 | 94 | +40% |
अमरेली क्षेत्र | 98 | 125 | +28% |
भावनगर मुख्य भूमि | 56 | 103 | +84% |
बार्डा अभयारण्य | 6 | 17 | नए क्षेत्र |
कॉरिडोर क्षेत्र | — | 22 | नए क्षेत्र |
कुल | 674 | 891 | +32.2 % |
FAQs
- 2025 में शेरों की संख्या कितनी हुई?
– 891 (32.2% वृद्धि) - शेरों का विस्तार कहाँ-कहाँ हुआ है?
– बार्डा, मितियाला, गिरनार, तटवर्ती क्षेत्र, अमरेली, भावनगर आदि। - संरक्षण का मुख्य कारण क्या है?
– संरक्षण अभियान, कॉरिडोर विस्तार और स्थानीय सहभागिता। - क्या गिर का पारंपरिक आवास संतृप्त हो गया?
– हाँ, इसलिए दूसरे क्षेत्रों में विस्तार ज़रूरी हो गया। - बर्डा की भूमिका क्या है?
– यह अब एक दूसरा शेर आवास स्थल बन चुका है। - संख्या वृद्धि का क्या महत्व है?
– आनुवंशिक विविधता और आबादी के दीर्घकालीन संरक्षण में मदद। - शेर खतरे में हैं क्या?
– IUCN की “वुल्नरेबल” श्रेणी में हैं, लेकिन सुधार जारी है। - शेरों का कोर क्षेत्र क्या है?
– गिर, मितियाला व पानिया अभयारण्यों सहित अन्य क्षेत्र। - संरक्षण मॉडल सफल क्यों हैं?
– तकनीकी गिनती, कैमरा ट्रैप्स, और भूमि विस्तार ने मदद की।
FAQ
- गुजरात की योजनाएँ क्या हैं?
– Project Lion जैसे कार्यक्रम और वन्य जीव व्यवस्थापन योजनाएँ। - शेर कितने जिलों में फैले हैं?
– 11 जिले और 58 तालुके । - संरक्षण में समुदाय की भूमिका क्या?
– को-लेबल, पशु-क्षति क्षतिपूर्ति, और जागरूकता। - क्या ज़रूरत है और विस्तार की?
– हाँ, भविष्य में अधिक क्षेत्रों में विस्तार जरूरी। - कैप्टिव breeding का क्या योगदान?
– Assam Zoo में चार शावकों का जन्म, आनुवंशिक विविधता में मदद ।
डिस्क्लेमर (Disclaimer)
यह लेख 2025 Lion Census तथा सार्वजनिक स्रोतों जैसे India Today, Times of India आदि पर आधारित है, लेख केवल जानकारी व जागरूकता हेतु प्रस्तुत करता है। कृपया निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ या अधिकारी स्रोतों से पुष्टि करें।
संदर्भ (हिंदी में):
- Drishti IASIndia TodayGujarat Samachar
- India TodayGujarat SamacharWikipedia
- The Indian ExpressGujarat Samachar
- Gujarat SamacharPscarivukal
- वन्यजीव संस्थान, भारत – एशियाई शेर जनगणना रिपोर्ट 2020 और 2024
- International Union for Conservation of Nature (IUCN) – African Lion Population Trends, 2023
- Botswana Department of Wildlife and National Parks – Annual Wildlife Report, 2024
- South African National Parks (SANParks) – Lion Conservation Strategy 2024
- वन विभाग, गुजरात – एशियाई शेर जनगणना रिपोर्ट, 2020 एवं 2024
- वन्यजीव संस्थान, भारत – “एशियाई शेर संरक्षण रणनीति” रिपोर्ट, 2023
- IUCN Red List – Panthera leo persica प्रजाति की स्थिति, 2024
- Drishti IASIndia TodayGujarat Samachar
- India TodayThe Indian Express
- The Times of India
संदर्भ
तालिका 1-
2. RedditWikipediaHindustan Times
3. Drishti IASIndia TodayGujarat SamacharThe Indian Express
तालिका 2-
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