aqi वायु गुणवत्ता सूचकांक क्या है ? भारत में एक्यूआई को समझना बेहद जरुरी है। दिल्ली एनसीआर के रहवासियों के लिए यह नया नहीं है। देश के दूसरे हिस्सों में अभी भी एक्यूआई को सभी नहीं समझते। उसे समझने के अनेक फायदे हैं आप अपने क्षेत्र के प्रदूषण को समझ सकते हो। सच तो यह है कि प्रदूषण प्रकृति को बेहाल कर रहा है।
गंभीर और चिंतनीय विषय
मानव जाति के लिए हजार संकटों का कारण बन रहा है। हमारे देश में यदि आम व्यक्ति इस शब्द को और इसकी गंभीरता नहीं समझ रहा है। यह भी एक बहुत बड़ा संकट है इसलिए aqi को समझें और सभी इसे सहजता से ज्ञान का हिस्सा बनाएं। वायु गुणवत्ता सूचकांक क्या है? भारत में वायु प्रदूषण की स्थिति,वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियां ये सभी बेहद गंभीर और चिंतनीय विषय हैं। इन्हें लेकर गंभीर होकर मंथन करने और सुधार पर जुटने का समय है।
aqi full form ?
Air Quality Index is Full form of aqi or A.Q.I.
वायु गुणवत्ता सूचकांक क्या है
aqi वायु गुणवत्ता सूचकांक क्या है? एक्यूआई AQI अर्थात एयर क्वालिटी इंडेक्स। यह एक संकेतक है। जनता को यह बताने के लिए कि वर्तमान हवा कितनी प्रदूषित है। इसके कितना प्रदूषित होने का अनुमान है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत 17 सितंबर 2014 को नई दिल्ली में राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (aqi) लॉन्च किया गया था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के साथ मिलकर देश के 240 शहरों को कवर करते हुए 342 से अधिक निगरानी स्टेशनों वाले राष्ट्रीय वायु निगरानी कार्यक्रम (एनएएमपी) का संचालन कर रहा है।
आपके शहर की हवा कैसी है
सीधे अर्थो में समझें तो शहरों में प्रदूषण के स्तर को यदि सूचीबद्व किया जाता है तो उसे aqi एक्यूआई कहा जाता है। प्रदूषण के स्तर वाले महानगरों, नगरों को क्यों सूचीबद्व किया जा रहा है इसे आगे देखेंगे लेकिन अभी एयर क्वालिटी इंडेक्स- AQI क्या है इसकी गंभीरता को समझें। इसे आंकडे़ में देखें तो हमें बेहतर समझ आएगा क्योंकि इसे सूचीबद्व आंकड़ों में ही किया जाता है। इस तरह समझें कि इसे किस तरह विभाजित किया जाता है। आपके शहर की हवा कैसी है और उसमें प्रदूषण का स्तर कितना है और कितना स्तर पर वह गंभीर हो जाता है।
0-50 अच्छा
51-100 संतोषजनक
101-200 मध्यम
201-300 खराब
301-400 बहुत खराब
401-500 गंभीर
aqi की आवश्यकता क्यों पड़ी
जैसे-जैसे वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता है, वैसे-वैसे एक्यूआई के साथ-साथ संबंधित सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम भी बढ़ता जाता है। एक्यूआई अर्थात एयर क्वालिटी इंडेक्स AQI को सूचीबद्व करने की आवश्यकता इसलिए पड़ी ताकि समझा जा सके कौन सा समय है, दिन है। और महीना जब प्रदूषण का स्तर अधिक हो जाता है और उस दौर में उसे किस तरह से नियंत्रित किया जाए। किस तरह प्रदूषण को कम करने की प्लानिंग की जाए। आंकड़ों को देखने पर स्पष्ट समझ आता है कि कौन से शहर हैं जहां पर प्रदूषण कौन से महीनों में खराब, बहुत खराब और गंभीर स्तर पर पहुंच रहा है। aqi की आवश्यकता क्यों पड़ी
अपनी अपनी तकनीक है
एक्यूआई के माध्यम से प्रदूषित शहरों की और समय की गढ़ना आसान हो सकी। यह सूचीबद्वता वर्तमान समय की आवश्यकता बन गई है। अमूमनआप खबरों में पढ़ते होंगे और टीवी पर न्यूज पर देखते होंगे कि दिल्ली, एनसीआर में प्रदूषण का स्तर गंभीर जा पहुंचता है। हालांकि देश के अन्य महानगरों में भी प्रदूषण बढ़ रहा है और इसलिए एक्यूआई के माध्यम इसकी सूचीबद्वता की जाती है। यहां समझना यह भी जरुरी है कि इस विश्व में लगभग सभी देशों ने प्रदूषण को लेकर गंभीरता दिखाते हुए अपने-अपने नियम बनाए हैं।
स्थिति बहुत गहरी चिंता जगाने वाली है
सूचीबद्वता की सभी की अपनी अपनी तकनीक है। उन्हें लेकर भी हम भविष्य में आलेख के माध्यम से समझेंगे। वायु गुणवत्ता सूचकांक क्या है, भारत में वायु प्रदूषण की स्थिति,वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियां यह सभी एक दूसरे से लिंकअप हैं। देश की वायु गुणवत्ता स्थिति बहुत गहरी चिंता जगाने वाली है। जहां तक भारत में वायु प्रदूषण की बात करें तो इस वर्ष अभी तक स्थितियां गहरी चिंता वाली हैं। लेकिन यह भी सच है कि इस दिशा में सुधार के प्रयास सतत जारी है लेकिन हम सभी को इस महत्वपूर्ण विषय पर सोचना अवश्य चाहिए।
aqi को यूं समझें
अच्छा (0-50) न्यूनतम प्रभाव
संतोषजनक (51-100) लोगों को सांस लेने में मामूली परेशानी हो सकती है।
मध्यम (101-200) अस्थमा जैसे फेफड़ों की बीमारी वाले लोगों को सांस लेने में परेशानी हो सकती है और हृदय रोग वाले लोगों, बच्चों और बड़े वयस्कों को परेशानी हो सकती है।
ख़राब (201-300) लंबे समय तक संपर्क में रहने पर लोगों को सांस लेने में परेशानी हो सकती है और हृदय रोग से पीड़ित लोगों को परेशानी हो सकती है।
बहुत ख़राब (301-400) लंबे समय तक संपर्क में रहने से लोगों को सांस संबंधी बीमारी हो सकती है। फेफड़े और हृदय रोग वाले लोगों में प्रभाव अधिक स्पष्ट हो सकता है।
गंभीर (401-500) स्वस्थ लोगों पर भी श्वसन संबंधी प्रभाव पड़ सकता है और फेफड़ों/हृदय रोग से पीड़ित लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। हल्की शारीरिक गतिविधि के दौरान भी स्वास्थ्य पर प्रभाव का अनुभव किया जा सकता है। aqi को यूं समझें
aqi को रोज समझिए
प्रदूषण बढ़ रहा है, यह सच है कि दिल्ली एनसीआर के क्षेत्र में यह गंभीर स्थिति तक जा पहुंचता है,। जैसे कि इस वर्ष भी दिल्ली में हवा सामान्य से 20 गुना अधिक प्रदूषित हो गई और यही कारण था कि एहतियात के तौर पर दिल्ली में निर्माण कार्य पर रोक लगाई। स्कूलों की छुट्टी की गई और भी जरुरी निर्णय लिए गए। यह हर वर्ष हो रहा है और चिंताजनक स्थिति यह भी है कि हालात हर वर्ष खराब हो रहे हैं। अब केवल एक्यूआई के माध्यम से हम उस सूचकांक को समझकर अपने आपको बचाव की राह की ओर ले जा रहे हैं। अव्वल तो प्रदूषण कम होने और उसे पूरी तरह समाप्त किए जाने की ओर सोचा जाना चाहिए। aqi वायु गुणवत्ता सूचकांक को समझना जरुरी है। aqi को रोज समझिए
aqi समझें और सहज रहें
महानगरों में वाहनों की संख्या, दैनिक आपाधापी और हमारे भौतिक संसाधनों में जीने की आदतों के कारण प्रदूषण नियंत्रण से बाहर हो रहा है। यहां एक्यूआई को समझना और रोज पढ़ना और बच्चों तक उसे पहुंचाना जरुरी हो गया है। इसकी वेबसाइट है और तो कई ऐप भी इसके लॉच हो गए हैं। इसे समझना बेहद आसान है, जो नगर अथवा हिस्से प्रदूषण से प्रभावित नहीं है वे भी इसे समझें और अपने हिस्सों पर नजर रखें कि वह हमेशा प्रदूषण मुक्त बने रहें।
वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियां
हम सभी जानते हैं कि वायु प्रदूषण हमारे शरीर के लिए कितना अधिक घातक हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि इसके अधिक होने पर श्वास संबंधी बीमारियां हमें घेरने लगती हैं। हमारा इम्यून सिस्टम भी इससे प्रभावित होता है। बच्चों में श्वसन संक्रमण, त्वचा रोग और आँखों की समस्याओं में वृद्धि होती है।
aqi स्कूल/कॉलेज में बोर्ड पर रोज लिखा जाना चाहिए
यहां इस आलेख के माध्यम से एक सुझाव भी देना चाहता हूं कि देश की सभी स्कूल/कॉलेज में नियमित तौर पर एक्यूआई बोर्ड पर अंकित की जाना अनिवार्य होना चाहिए,। इसमें देश के प्रमुख शहरों जहां का स्तर खराब और गंभीर स्थिति में है और जहां प्रदूषण नहीं है उस हिस्सों के साथ जिस क्षेत्र में स्कूल है उसके आसपास के हिस्सों को भी बोर्ड पर उल्लेखित किया जाना चाहिए। इसका सीधे तौर फायदा यह होगा कि वह आने वाली पीढ़ी, स्कूली और कॉलेज के बच्चे उस संकट को रोज देखेंगे, समझेंगे और तभी उससे बचने और उसे सुधारने की राह निकालने के लिए स्वप्रेरित होंगे। aqi वायु गुणवत्ता सूचकांक को समझना जरुरी है। aqi स्कूल/कॉलेज में बोर्ड पर रोज लिखा जाना चाहिए
संदीप कुमार शर्मा
संपादक, प्रकृति दर्शन, राष्ट्रीय मासिक पत्रिका
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