Become a Member & enjoy upto 50% off
Enjoy Free downloads on all over the world
Welcome to Prakriti Darshan
Nature Lover - Subscribe to our newsletter
Donate for greener & cleaner earth
Welcome to Prakriti Darshan
Join our Community
वैश्विक तापमान Temperature

वैश्विक तापमान Temperature: महत्वपूर्ण संकेत, बढ़ोतरी के खतरनाक परिणाम, कारण, प्रभाव और नियंत्रण की वैश्विक रणनीतियाँ

वैश्विक तापमान (temperature) में निरंतर वृद्धि एक गंभीर पर्यावरणीय संकट बन चुकी है। पृथ्वी का तापमान (temperature) दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है, जिससे जलवायु परिवर्तन, सूखा, बाढ़, और हीटवेव जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। यह केवल एक देश की नहीं, बल्कि पूरे विश्व की चिंता का विषय है। इस गंभीर संकट से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। आइए जानते हैं कि दुनिया भर में temperature को नियंत्रित करने के लिए क्या-क्या प्रयास हो रहे हैं। इस लेख में हम तापमान बढ़ने के प्रमुख कारणों, इसके दुष्परिणामों, संभावित महासंकटों, वैश्विक स्तर पर उठाए गए प्रभावी कदमों और भारत पर इसके प्रभावों का विश्लेषण करेंगे। उद्देश्य है पाठकों को इस जटिल मुद्दे की गहराई से समाधान की दिशा में जागरूकता बढ़ाना। तापमान Temperature में बढ़ोतरी के खतरनाक परिणाम: कारण, प्रभाव और नियंत्रण की वैश्विक रणनीतियाँ समझने बेहद जरुरी है।

वैश्विक तापमान (temperature) बढ़ने के प्रमुख कारण

1. ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन

मानव गतिविधियों, विशेषकर जीवाश्म ईंधनों के जलने, वनों की कटाई और औद्योगिक प्रक्रियाओं के कारण वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि हुई है। इससे पृथ्वी की सतह का तापमान बढ़ रहा है।

2. वनों की कटाई

वन कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं। लेकिन वनों की अंधाधुंध कटाई से यह क्षमता घट रही है, जिससे वातावरण में CO₂ की मात्रा बढ़ रही है।

3. औद्योगीकरण और शहरीकरण

तेजी से बढ़ते औद्योगीकरण और शहरीकरण ने ऊर्जा की मांग बढ़ाई है, जिससे जीवाश्म ईंधनों का अधिक उपयोग हो रहा है और तापमान में वृद्धि हो रही है।

तापमान (temperature) बढ़ने के दुष्परिणाम

1. समुद्र स्तर में वृद्धि

ग्लेशियरो के पिघलने से समुद्री  स्तर बढ़ रहा है, इस कारण तटीय क्षेत्रों में बाढ़ एक विकट समस्या बनती जा रही है।

2. चरम मौसम की घटनाएं

तापमान में वृद्धि के कारण हीटवेव, सूखा, बाढ़ और तूफानों की तीव्रता और आवृत्ति बढ़ गई है, जिससे जन-धन की हानि हो रही है।

3. जैव विविधता पर प्रभाव

पर्यावरणीय परिवर्तनों के कारण कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र असंतुलित हो रहा है।

तापमान (temperature) पर नियंत्रण नहीं हुआ तो संभावित महासंकट

1. खाद्य सुरक्षा पर खतरा

कृषि उत्पादन में कमी और फसल चक्र में बदलाव से खाद्य संकट उत्पन्न हो सकता है।

2. जल संकट

ग्लेशियरों के पिघलने और अनियमित वर्षा के कारण जल स्रोतों पर दबाव बढ़ेगा, जिससे जल संकट गहराएगा।

3. स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं

हीटवेव, जलजनित रोगों और वायु प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ेंगी।

 तापमान (temperature) को कम करने के लिए वैश्विक प्रयास

1. डेनमार्क

डेनमार्क ने 2030 तक ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में 70% की कटौती का लक्ष्य रखा है और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का व्यापक उपयोग कर रहा है।

2. स्वीडन

स्वीडन ने 2045 तक नेट-जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य निर्धारित किया है और कार्बन टैक्स लागू किया है।

3. यूरोपीय संघ

यूरोपीय संघ ने 2030 तक 55% उत्सर्जन कटौती का लक्ष्य रखा है  यह बेहद महत्वपूर्ण है।

वैश्विक प्रयास: तापमान (Temperature) को कम करने की दिशा में

1. पेरिस समझौता (Paris Agreement)

लक्ष्य: वैश्विक तापमान (temperature) वृद्धि को 2°C से नीचे सीमित रखना, और 1.5°C तक सीमित करने का प्रयास करना।

सदस्य देश: 190 से अधिक राष्ट्र शामिल हैं।

रणनीति: कार्बन उत्सर्जन में कटौती, हरित ऊर्जा में निवेश, और जलवायु अनुकूल नीतियों का पालन।

2. IPCC (Intergovernmental Panel on Climate Change) की रिपोर्टें

भूमिका: वैज्ञानिक डेटा के आधार पर तापमान (temperature) और जलवायु परिवर्तन पर रिपोर्ट तैयार करना।

महत्व: नीति निर्माताओं को निर्णय लेने में सहायता मिलती है।

3. नेट ज़ीरो टारगेट्स

नेट ज़ीरो का अर्थ है: उत्सर्जित कार्बन की मात्रा = हटाई गई कार्बन की मात्रा।

देश:

भारत: 2070 तक नेट ज़ीरो का लक्ष्य।

अमेरिका: 2050 तक।

चीन: 2060 तक।

4. नवीकरणीय ऊर्जा का बढ़ता उपयोग

सौर (Solar), पवन (Wind), जल (Hydro) ऊर्जा पर ज़ोर।

Green Hydrogen, Electric Vehicles और Smart Grid तकनीकों को बढ़ावा।

5. REDD+ कार्यक्रम

Full Form: Reducing Emissions from Deforestation and Forest Degradation

उद्देश्य: वनों को बचाना, पुनः वनीकरण को बढ़ाना, और स्थानीय समुदायों की सहभागिता।

भारत में तापमान (temperature) बढ़ने से उत्पन्न संकट

1. हीटवेव की तीव्रता

भारत में हीटवेव की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिससे जनस्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।

2. जलवायु परिवर्तन और कृषि

अनियमित मानसून और सूखे के कारण कृषि उत्पादन प्रभावित हो रहा है, जिससे किसानों की आय पर असर पड़ रहा है।

3. जल संकट

ग्लेशियरों के पिघलने और वर्षा पैटर्न में बदलाव के कारण जल स्रोतों पर दबाव बढ़ रहा है।

4. शहरी क्षेत्रों में प्रभाव

शहरीकरण के कारण हरित क्षेत्रों में कमी आई है, जिससे तापमान और वायु प्रदूषण बढ़ रहा है।

भारत की भूमिका और कदम

भारत और फ्रांस ने दोनों ने मिलकर  International Solar Alliance की शुरुआत  की।

ऊर्जा संरक्षण अधिनियम 2022 के तहत कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना।

भारत ने One Earth, One Family, One Future का संदेश दिया।

मनुष्य कितना तापमान सहन कर सकता है?

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

सामान्य मनुष्य का शारीरिक तापमान लगभग 37°C होता है।  

सहनशीलता की सीमा

शरीर में थकान, सिरदर्द, और डिहाइड्रेशन की समस्या 40°C से ऊपर तापमान से  हो सकती है।

45°C से ऊपर तापमान की बात करें तो ब्लड प्रेशर में गिरावट, चक्कर आना, और घबराहट जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

50°C के आसपास तापमान यदि होता है तो मांसपेशियों का टूटना, अंगों का फेल होना, और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।

अगर तापमान 50°C हो गया तो क्या होगा?

50°C तापमान पर शरीर की थर्मोरेगुलेशन प्रणाली विफल हो सकती है, जिससे हीट स्ट्रोक, अंगों का फेल होना, और मृत्यु तक हो सकती है।

गर्मी से बचाव के उपाय

धूप में निकलने से हमेशा बचें क्योंकि यह बहुत जरुरी है।

पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।

हल्के और सूती कपड़े पहनें।

तेज धूप में शारीरिक गतिविधियों से बचें।

बुजुर्गों और बच्चों का विशेष ध्यान रखें।

तापमान (Temperature) कम करने के लिए आम नागरिक क्या कर सकते हैं?

निजी वाहन की जगह सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग।

बिजली की बचत: एलईडी बल्ब, सौर पैनल आदि।

वृक्षारोपण करना और वनों की रक्षा करना।

कम उपभोग और अधिक पुनर्चक्रण (recycling)।

जलवायु शिक्षा और जागरूकता फैलाना।

निष्कर्ष

वैश्विक तापमान (temperature) में वृद्धि एक गंभीर चुनौती है, जिसका समाधान सामूहिक प्रयासों से ही संभव है। सरकारों, उद्योगों और नागरिकों को मिलकर सतत विकास की दिशा में कदम उठाने होंगे। डेनमार्क, स्वीडन और यूरोपीय संघ के प्रयास एक ऐसा रास्ता दिखाते हैं जो न केवल पर्यावरण की रक्षा करता है बल्कि मानव स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता को भी सुधारता है। अगर दुनिया के बाकी देश इन पहलों से प्रेरणा लें तो वैश्विक temperature को नियंत्रित किया जा सकता है और एक बेहतर, ठंडा और संतुलित भविष्य संभव है।

 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. तापमान (temperature) बढ़ने का मुख्य कारण क्या है?

ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन, वनों की कटाई और औद्योगीकरण मुख्य कारण हैं।

2. तापमान वृद्धि का मानव स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव है?

हीटवेव, जलजनित रोगों और वायु प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ती हैं।

3. भारत में तापमान वृद्धि से कौन-कौन से क्षेत्र प्रभावित हो रहे हैं?

कृषि, जल संसाधन, स्वास्थ्य और शहरी क्षेत्रों पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है।

4. तापमान को नियंत्रित करने के लिए भारत में क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

भारत सरकार ने नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने, जलवायु अनुकूलन योजनाओं और हरित क्षेत्रों के संरक्षण के लिए विभिन्न पहलें शुरू की हैं।

5. मनुष्य अधिकतम कितना तापमान सहन कर सकता है?

सामान्यतः मनुष्य 35°C से 37°C तक का तापमान बिना किसी समस्या के सहन कर सकता है। 40°C से ऊपर स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं, और 50°C के आसपास स्थिति गंभीर हो सकती है।

6. हीट स्ट्रोक के लक्षण क्या हैं?

हीट स्ट्रोक के लक्षणों में उच्च शरीर तापमान, तेज़ नाड़ी, सिरदर्द, चक्कर आना, मतली, और बेहोशी शामिल हैं।

7. गर्मी से बचने के लिए क्या करें?

धूप से बचें, पर्याप्त पानी पिएं, हल्के कपड़े पहनें, और ठंडी जगहों पर रहें।

8. तापमान (temperature) को कम करने में सबसे प्रभावी वैश्विक समझौता कौन सा है?

पेरिस समझौता (Paris Agreement) अब तक का सबसे व्यापक और प्रभावी वैश्विक प्रयास माना जाता है, जो temperature को 1.5°C तक सीमित रखने की दिशा में कार्य कर रहा है।

(FAQs)

9. क्या केवल सरकार ही तापमान (temperature) कम करने की ज़िम्मेदार है?
नहीं, नागरिक, उद्योग, किसान, स्कूल, और हर संगठन की इसमें भूमिका है। जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं।

10. क्या तापमान को नियंत्रित करना संभव है?

अगर वैश्विक स्तर पर ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन घटाया जाए, वन संरक्षण हो, और हरित ऊर्जा को अपनाया जाए, तो तापमान (temperature) में वृद्धि को रोका जा सकता है।

11: क्या यूरोपीय देशों के प्रयासों से वैश्विक तापमान पर असर पड़ा है?

हां, यूरोपीय देशों के संयुक्त प्रयासों से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आई है, जो वैश्विक temperature को स्थिर करने में मदद करता है।

12: क्या भारत भी इन मॉडलों को अपनाकर तापमान को कम कर सकता है?

बिल्कुल, भारत यदि नवीकरणीय ऊर्जा, हरित परिवहन और सस्टेनेबल सिटी प्लानिंग को अपनाए, तो वह अपने temperature को नियंत्रित करने में सफल हो सकता है।

13: डेनमार्क और स्वीडन में मुख्य ऊर्जा स्रोत क्या हैं?

दोनों देश मुख्यतः पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा और बायोमास जैसे नवीकरणीय स्रोतों पर निर्भर हैं जो वातावरण को गर्म करने वाली गैसों का उत्सर्जन नहीं करते।

 संदर्भ

  1. EPA: Causes of Climate Change
  2. NOAA: Climate Change Impacts
  3. CCPI: Climate Change Performance Index
  4. Times of India: May-Hem! Why Storms Have Hit Hard & Often
  5. Washington Post: Earth’s major climate goal is too warm for the polar ice sheets, study saysUS EPA+1Climate Action+1NOAANewClimate Institute+2Climate Change Index+2Climate Change Index+2The Times of India+2The Times of India+2The Times of India+2The Washington Post+1theguardian.com+1
  6. The Lallantop+1Divya Himachal+1
  7. United Nations Climate Change – Paris Agreement
  8. IPCC Reports
  9. International Solar Alliance
  10. Government of India – Energy Conservation (Amendment) Bill 2022
  11. World Bank – Climate Change Overview
  12. UC San Diego Today
  1. Financial Times
  2. ClimateTrade
  3. European Green Deal – European Commission
  4. Copenhagen: The world’s first carbon-neutral capital by 2025 – UN Environment
  5. Sweden: World’s Recycling Leader – World Economic Forum
  6. Global Warming Solutions – Climate Council
  7.  News18 Hindi+2News18 Hindi+2India Water Portal – Hindi+2
  8. Saral Kisan+1News18 Hindi+1
  9. News18 Hindi+2Good News Today+2Jansatta+2
  1. Saral Kisan
  2. US EPA

PRAKRITI DARSHAN-NATURE AND ENVIRONMENT MAGAZINE

प्रकृति दर्शन  एक प्रमुख  ( हिंदी ) पत्रिका और डिजिटल मंच है।

पर्यावरण संरक्षण से जुड़े विषयों पर जनजागरूकता फैलाने का कार्य करता है।

यह पत्रिका विज्ञान, समाज और संवेदना का संगम है।

जो शोधकर्ताओं, छात्रों, एनजीओ, नीति निर्माताओं, प्रकृति प्रेमियों और जागरूक नागरिकों को एक साझा मंच प्रदान करती है।

आइए हम सब मिलकर इस पृथ्वी को संरक्षित और सुंदर बनाएँ। 🌿🌍

Join us in our mission to protect and celebrate the planet. 🌏💚

Click for more information :

🎗️Sponsor Prakriti Darshan Magazine – Support our environment mission.

SANDEEP KUMAR SHARMA,

EDITOR IN CHIEF,

PRAKRITI DARSHAN-NATURE AND ENVIRONMENT MAGAZINE www.prakritidarshan.com


Sandeep Kumar Sharma
Leave a Reply

Shopping cart

0
image/svg+xml

No products in the cart.

Continue Shopping