Description
घटती बारिश का वैश्विक नुकसान
बारिश में कमी का प्रभाव संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र, कृषि, जल संसाधन और जीवन की गुणवत्ता पर पड़ता है। इसके प्रमुख नुकसान इस प्रकार हैं। कृषि पर प्रभाव- वर्षा आधारित खेती करने वाले किसानों को सबसे अधिक नुकसान होता है। सूखा पड़ने से फसलों की पैदावार घट जाती है, जिससे खाद्य संकट उत्पन्न होता है। जलसंकट झीलों, नदियों और भूजल स्तर में गिरावट आती है, जिससे पीने और सिंचाई के लिए पानी की कमी हो जाती है। वन्यजीवों पर असर जंगलों में पानी की कमी से वनस्पतियाँ सूख जाती हैं और जीव-जंतु पलायन करने को मजबूर हो जाते हैं। वातावरणीय असंतुलन बारिश कम होने से भूमि शुष्क होती है, जिससे रेगिस्तानीकरण बढ़ता है और वातावरण गर्म होता है। अर्थव्यवस्था पर भी इसका प्रभाव होता है, कम बारिश के कारण ऊर्जा उत्पादन में कमी आ सकती है, विशेष रूप से जलविद्युत संयंत्रों पर इसका नकारात्मक असर पड़ता है।
बारिश में कमी के कारण
जलवायु परिवर्तन ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ने से पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है, जिससे वर्षा चक्र असंतुलित हो रहा है। वनों की कटाई जंगलों की अंधाधुंध कटाई से स्थानीय स्तर पर बादल बनने की प्रक्रिया बाधित होती है। शहरीकरण और औद्योगीकरण भी इसके लिए दोषी हैं। कंक्रीट संरचनाओं और प्रदूषण से वातावरण में बदलाव होता है, जिससे वर्षा के पैटर्न प्रभावित होते हैं। जलवाष्प की कमी समुद्र और जल निकायों का तापमान बढ़ने से वाष्पीकरण प्रभावित होता है, जिससे बादल बनने में कमी आती है। इस समस्या को हल करने के लिए जल संरक्षण, वनीकरण और हरित ऊर्जा का उपयोग बढ़ाने की आवश्यकता है।
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