Description
प्रकृति की परिचारिका- तितली
बात जब तितली पर निकली है तो एक सच्चा वाक्या याद आ गया- हम दोस्तों की वह पूरी टीम यही कोई कक्षा चौथी या पांचवी में पढ़ती होगी। उस दौर में बारिश समय पर और खूब होती थी, यही कारण है कि फूल भी खूब खिलते थे और तितलियां भी बगीचों को अपने रंगों से सराबोर कर दिया करती थीं लेकिन एक घटना ने जीवन पर इतना गहरा प्रभाव डाला कि जीवन की दिशा ही बदल गई। हम दोस्तों को भी दूसरे बच्चों की भांति तितलियों के पीछे भागना पसंद था लेकिन उन्हें पकडते और बाद में करीब से देखकर उन्हें छोड़ दिया करते थे, लेकिन एक दिन हमारे ही एक मित्र ने हमारे सामने जब एक तितली को पकड़ा और जोर जोर से ठहाके लगाते हुए मजाक में ही उसने अगले ही पल तितली के दोनों पंख उखाड़ डाले, मैं उसे देखता ही रह गया और पूरी ताकत से चीख पड़ा, पंख कहीं उड़ गए और वह बेजान तितली वहीं मिट्टी में जा गिरी। दोस्तों ने तय किया उससे कोई बात नहीं करेगा और हुआ भी यही सालों उससे किसी ने बात नहीं की। मेरे सभी दोस्त वहां से चले गए लेकिन मैं काफी देर वहीं खड़ा सोचता रहा कि एक ही झटके में कोई हमारे दोनों हाथ उखाड़ दे और वह भी मजाक में…ओह बेपंख तितली ने अगले ही पल दम तोड़ दिया और हवा के साथ वह पंख विहीन शरीर कहीं उड़ गया, उस दिन से मेरे लिए तितलियां उस ईश्वर की राजकुमारियां हो गईं जिन्हें इस दुनिया में उस परमपिता ने अपने प्रमुख कार्य के निर्वहन के लिए बनाया है।
बचपन में तितली के मायने और समझ कुछ और ही होती है, उड़ती हुई रंग बिरंगी तितलियां बच्चों के अबोध मन के इर्दगिर्द बार-बार चक्कर लगाती रही हैं लेकिन उनके पीछे उन्हें पकड़ने के लिए भागता बचपन यह कहां समझ पाता है कि वह इतनी छोटी सी तितली फूल-फूल उड़कर क्या ले जाती हैं और इस प्रकृति को क्या दे जाती हैं।
सच तो यह है कि तितलियों के मासूम पंखों में अदम्य साहस होता है यही कारण है कि प्रकृति की परिचारिका बनकर कार्य में जुटी रहती हैं, फूलों से बात कर, फूलों की मन की सुनकर दूसरे फूलों तक संदेशा पहुंचाने वाली तितलियों से ही इस प्रकृति मे रंग हैं और खुशबू भी। मेरा मासूम मन ये भी सोचा करता था कि तितलियां ही हैं जिन्हें फूलों से प्यार है और जिन्हें फूल खुशी खुशी अपने आप को समर्पित कर दिया करते हैं। तितलियां हैं भी और खत्म भी हो रही हैं, तितलियों के लिए अनेक स्थानों पर सदप्रयास भी हो रहे हैं जिनके बाद सकारात्मक परिणाम आ रहे हैं लेकिन तितलियों के नेह राग को समझने के लिए हमें उनके स्नेह को अपने बच्चों और उनके मासूम मन और विचारों में अंकुरित करना होगा, सोचता हूं कि फूलों की संगत से तितलियों में इतने रंग आए हैं या तितलियों के इर्दगिर्द मंडराने से फूल उनके रंग मे ंरंग जाया करते हैं, बहरहाल सच यह भी है कि तितलियों पर प्रकृति का भार है वह उससे उसी तरह संचालित करने में भूमिका निभाती हैं जैसा कि प्रकृति चाहती है यही कारण है कि प्रकृति से तितलियों का कम होना भविष्य के लिए चिंता बढ़ाने वाला है। मासूस सी तितली अब भी मन के किसी कोने में बैठकर साहित्य में कविताओं और विचारों का हिस्सा है लेकिन सच कहूं तो तितली किताबों की जगह हकीकत में नजर और हमेशा उडान भरकर अपने कर्मपथ पर डटी रहें, बनाती रहें एक खूबसूरत प्रकृति जो मनुष्य की सर्वाधिक महत्वपूर्ण उम्मीद भी है।
संदीप कुमार शर्मा, संपादक
प्रकृति दर्शन, राष्ट्रीय मासिक पत्रिका
- Top Home Remedies for Acid Reflux: How to Relieve Heartburn Naturally at Home - June 22, 2025
- Beautiful African Love Birds: The Most Adorable Feathered Companions from the African Wild - June 22, 2025
- Iran Earthquake 5.1 Magnitude Hits Amid Iran-Israel War: A Dual Crisis of Nature and Conflict - June 21, 2025
BALA DATT –
Excellent