Description
ग्लेशियर पृथ्वी के जल स्रोतों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन में अहम भूमिका निभाते हैं। ये बर्फ के विशाल भंडार नदियों का प्रमुख स्रोत होते हैं और दुनिया की लगभग 69% ताजा पानी की आपूर्ति करते हैं। हिमालय, आल्प्स, आर्कटिक और अंटार्कटिका में स्थित ग्लेशियर लाखों लोगों के लिए जीवनदायी जल प्रदान करते हैं। इसके अलावा, वे जलवायु को नियंत्रित करने और पृथ्वी के तापमान को संतुलित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
आज, वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण ग्लेशियरों का तेजी से पिघलना एक गंभीर समस्या बन गया है। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के चलते हिमालयी ग्लेशियर हर साल औसतन 15-20 मीटर तक पीछे हट रहे हैं। गंगोत्री, सियाचिन और अन्य प्रमुख ग्लेशियरों का आकार धीरे-धीरे कम हो रहा है, जिससे न केवल जल संकट गहरा रहा है, बल्कि बाढ़ और भूस्खलन जैसी आपदाओं का खतरा भी बढ़ गया है।
अंटार्कटिका और आर्कटिक में भी बर्फ की मोटाई में गिरावट दर्ज की गई है, जिससे समुद्र का स्तर बढ़ रहा है और तटीय क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। यदि यह स्थिति बनी रही, तो आने वाले दशकों में कई प्रमुख नदियों का जलस्तर प्रभावित हो सकता है, जिससे कृषि, पेयजल और ऊर्जा उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ेगा। ग्लेशियरों को बचाने के लिए कार्बन उत्सर्जन को कम करना, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाना और वनों की कटाई रोकना आवश्यक है। साथ ही, जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए वैश्विक स्तर पर ठोस नीतियों को लागू करने की जरूरत है। यदि हम अभी कार्रवाई नहीं करते, तो भविष्य में जल संकट और प्राकृतिक आपदाओं की आशंका और अधिक बढ़ सकती है।
- SDGs – Sustainable Development Goals - April 26, 2025
- Sustainable Development Goals -SDGs - April 25, 2025
- हर स्कूल हरियाली परियोजना - April 14, 2025
Reviews
There are no reviews yet.