Description
बाहरी और आतंरिक ऊर्जा दोनों जरूरी
आज पुनरोपयोगी और गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों के दायरे बढ़ रहे हैं, ऐसा माना जा रहा है कि भविष्य में यही ऊर्जा के प्रमुख स्रोत रहेंगे। ऊर्जा की बात करें तो बहुत कुछ हो रहा है इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में। ऊर्जा को बेहतर स्वरूप अर्थात बिना प्रकृति को नुकसान पहुंचाए पाने के प्रयास जारी हैं और यह समय की मांग भी है। मैं यहां ऊर्जा के गैर-परंपरागत स्रोतों के प्रकार के बारे में कोई बात नहीं कहूंगा क्योंकि पत्रिका इसी विषय पर केंद्रित है और आलेख भी बेहद गहनता से लिखे गए हैं लेकिन मैं बात करना चाहता हूं अब तक ऊर्जा के जिन भी स्रोतों के भरोसे हम रहे या जिनका उपयोग हमने अपने जीवन में किया यह जानते हुए भी कि उनमें से अधिकांश प्रकृति और हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छे नहीं थे, यह भी सच था अत्यधिक दोहन का तरीका भी मुश्किल बढ़ाने वाला साबित हुआ। बावजूद इसके हम उपयोग करते रहे और अब जब अहसास होने लगा कि उसके बाद क्या, तब हम जागे और नया सोचने पर कार्य आरंभ हुआ।
यहां मेरी चर्चा का विषय यह है कि संकटों से हमने सीखा तो अवश्य है, पर्यावरणीय संकटों ने हमें अंदर तक झकझोरा अवश्य है क्योंकि यदि ऐसा नहीं होता हम उन रास्तों में, खोजों के मूल में प्रकृति के संरक्षण को न रखते। अब जिन वैकल्पिक रास्तों पर हम अग्रसर हैं उनकी खासियत है कि अधिकांश में प्रकृति पर कोई आंच नहीं आ रही है, बेशक प्रकृति से ही उस ऊर्जा को ग्रहण किया जा रहा है लेकिन उससे प्रकृति आहत नहीं हो रही है। प्रकृति से समन्वय कर ऊर्जा को खोजने, उपयोग करने और लंबे समय तक उनका उपयोग मानव जीवन के लिए सरल हो सके इसी संदर्भ में प्रयास जारी हैं।
महत्वपूर्ण बात यह भी है कि पहले हम अपनी आतंरिक ऊर्जा को खोजें जैसा कि इस बार ऊर्जा के क्षेत्र में कार्य करने, खोज करने और उस सिस्टम को खड़ा करने में हो रहा है। इस बार वाकई ऊर्जा के क्षेत्र में पर्यावरण हितैषी नियम बनाए जा रहे हैं, उनका ध्यान रखा जा रहा है। बहरहाल यहां इतना ही कहना सटीक होगा कि हम पहले न तो आतंरिक ऊर्जा को समझे और न ही बाहरी ऊर्जा को। हम ऊर्जा को समझ ही नहीं पाए जबकि जीवन का मूल ही उस ऊर्जा पर केंद्रित है, हम उसी को भूल गए। भविष्य में काफी कुछ बदलेगा और उस बदलाव में हमें यही आशा करनी चाहिए कि हम प्रकृति के करीब आएंगे, ऊर्जा का उपयोग हमारी दैनिक आवश्यकता का हिस्सा है लेकिन उसके उपयोग के जो सख्त दायरे बनाए जाएं उनका पालन करने में हम अपनी आतंरिक ऊर्जा को भी तरह झोंक दें और गलती से भी इस प्रकृति को नुकसान पहुंचाने की दिशा में कोई कार्य न हो।
संदीप कुमार शर्मा,
संपादक, प्रकृति दर्शन, पत्रिका
- Rare Jupiter-Sized Planet Discovered Using Einstein’s Predicted Gravitational Microlensing Phenomenon - July 1, 2025
- Acidic Ocean: A Silent Crisis Threatening Marine Life and Climate Balance - July 1, 2025
- Africa Is Breaking: A New Ocean Is Emerging at a Speed That Has Shocked Scientists – What It Means for Our Planet - June 30, 2025
Reviews
There are no reviews yet.