Description
समुद्र हमारे जीवन की मिठास के लिए अति आवश्यक है
हमें समुद्र का दर्द समझने के लिए खारा हो जाना चाहिए क्योंकि केवल मीठे होकर न हम समुद्र का दर्द समझ सकते हैं और न ही उसका दर्द दूर करने की ओर अग्रसर हो सकते हैं। सोचिएगा मीठे जल का आपके पास गहरा अभाव है, मीठे जल के प्राकृतिक सोर्स आपके खत्म होते जा रहे हैं, तापमान बढ़ रहा है, पीने के पानी का संकट गहराता जा रहा है और हम समुद्र को अमूमन कितना जानते हैं केवल खारे पानी के संग्रहकर्ता के तौर पर। हमें समुद्र की गहराई का अंदाजा है लेकिन उसके होने के फायदों का अंदाजा नहीं है, शायद यही कारण है कि हमने समुद्र के गर्भ में मनचाहा प्रदूषण, ई कचरा, अपनी सनक, अपनी जिद, बेहूदगी न जाने क्या क्या ठूंसना आरंभ कर दिया है। शायद हम उसे केवल आवागमन के एक पथ से अधिक नहीं पहचानते।
एक बार विचार कीजिएगा कि मीठे पानी के सारे सोर्स हमारे पास न्यूनतम स्थिति तक पहुंच जाएं, तब हम बारिश पर निर्भर होकर रह गए और दूसरी ओर हमारे समुद्र भी हम प्रदूषण और ई कचरा ठूंसकर खत्म करने की ओर अग्रसर हो जाएंगे तब क्या होगा? तब यह होगा कि बारिश भी नहीं होगी क्योंकि हममें से कितने प्रतिशत लोग यह जानते हैं कि समुद्र हमारे लिए होने वाली बारिश का एक बड़ा माध्यम हैं और बारिश से वही खारा पानी वह समुद्र मीठा कर हमें लौटा देते हैं जिसे हम जीवन का अमृत जल कहते हैं।
संदीप कुमार शर्मा, प्रधान संपादक, प्रकृति दर्शन
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