Previous
Previous Product Image

February 2025 कहीं घटती, कहीं बढ़ती ठिठुरन

Original price was: ₹25.00.Current price is: ₹24.00.
Next

February 2024 सातवीं बार नंबर वन इंदौर

Original price was: ₹25.00.Current price is: ₹24.00.
Next Product Image

JANUARY 2024 मन का कल्पनालोक

Original price was: ₹25.00.Current price is: ₹24.00.

आपने हमेशा ही सुना होगा कि फलां व्यक्ति का घर बहुत साफ और खूबसूरत है, उसके घर में हरेक सामान कितना व्यवस्थित और करीने से रखा गया है, यह मानव स्वभाव है कि वह अच्छे को अच्छा कहने का साहस रखता है लेकिन इसके विपरीत आपने यह भी सुना होगा कि फलां व्यक्ति ने घर कितना गंदा और अव्यवस्थित रखा है, ओह एक मिनट ठहरने का मन नहीं हुआ, यह भी मानव स्वभाव है कि वह बुरे को बुरा कहना भी जानता है। इसके साथ ही कुछ घर ऐसे भी होंगे जहां आपको छोटी-छोटी बेकार सी वस्तुएं घर की खूबसूरती बढ़ाती नज़र आ जाती होंगी तब कहा जाता है कि वाकई जीना तो कोई इनसे सीखे, कितने सुलझे और दूरदर्शी व्यक्ति हैं।

Add to Wishlist
Add to Wishlist

Description

उन मुट्ठी भर लोगों से सीखिए

आपने हमेशा ही सुना होगा कि फलां व्यक्ति का घर बहुत साफ और खूबसूरत है, उसके घर में हरेक सामान कितना व्यवस्थित और करीने से रखा गया है, यह मानव स्वभाव है कि वह अच्छे को अच्छा कहने का साहस रखता है लेकिन इसके विपरीत आपने यह भी सुना होगा कि फलां व्यक्ति ने घर कितना गंदा और अव्यवस्थित रखा है, ओह एक मिनट ठहरने का मन नहीं हुआ, यह भी मानव स्वभाव है कि वह बुरे को बुरा कहना भी जानता है। इसके साथ ही कुछ घर ऐसे भी होंगे जहां आपको छोटी-छोटी बेकार सी वस्तुएं घर की खूबसूरती बढ़ाती नज़र आ जाती होंगी तब कहा जाता है कि वाकई जीना तो कोई इनसे सीखे, कितने सुलझे और दूरदर्शी व्यक्ति हैं।
हमने यहां तीन प्रकार देखें हैं और तीनों के लिए मानव स्वभाव और उसकी प्रतिक्रिया भी देखी। यह आम जीवन का बेहद सामान्य सा वार्तालाप है लेकिन अब मूल पर लौटते हैं जब हम इतने समझदार हैं और अपने घर को खूबसूरत और उसे अपनी बुद्वि से संवार सकते हैं तो इस प्रकृति के साथ दोहरा व्यवहार क्यों? उसे बेवजह कूढ़ा घर क्यों बना रहे हैं, क्यों उसे बेवजह कूढे़ से पाट रहे हैं ? सीखिए न उन मुट्ठी भर लोगों से जो प्रकृति के पेट को बेवजह कचरे से भरने की जगह उसे अपने तक रोक लेते हैं और उपयोग कर प्रकृति के संरक्षण का कार्य करने में जुट जाते हैं। यह अंक ‘वेस्ट ऑफ बेस्ट’ पर केंद्रित है। दोस्तों सीखने की कोई उम्र नहीं होती और समझादारी किसी भी उम्र में हासिल की जा सकती है, सीखा बच्चे से भी जा सकता है, महिला से भी, पुरुष से भी और उम्रदराज़ से भी। सोचिएगा कि वे लोग जो घर के कूढ़े कचरे में फैंक दिए जाने वाले सामान जिसमें प्लास्टिक की वस्तुएं भी होती हैं उन्हें अपने चिंतन और कलाकारी से खूबसूरत बनाकर अपने घर की शोभा बढ़ाते हैं और यह संदेश भी देते हैं कि बदलाव मुश्किल नहीं है लेकिन शुरुआत तो करनी ही पडे़गी। सोचिएगा कि यदि हर घर इसी तरह बेकार वस्तुओं को घर तक ही रोकने आरंभ कर देगा और धरती, नदियों और महासागरों तक पहुंचने वाले कचरे की मात्रा में कमी होने लगेगी तो निश्चित ही प्रकृति की उलझने कम होने लगेंगी और बेवजह मारे जा रहे जलचरों को भी जीवन मिलेगा। आपका एक छोटा सा प्रयास कहां कितनी दूर जाकर किसी के जीवन को बेहतर बनाने में मददगार साबित हो रहा है, सोचिएगा क्योंकि कुछ लोग जो कार्य कर रहे हैं वे शुरुआत कर चुके हैं, राह दिखा चुके हैं तो शेष को क्या करना चाहिए उस राह पर बिना झिझक और शर्त के आगे बढ़ना चाहिए। यह अंक संदेश लेकर समाज में जा रहा है कि यदि हम घर की उन बेकार वस्तुओं का उपयोग कर घर की शोभा बढ़ा सकते हैं तो हम अपनी प्रकृति को निश्चित ही मुश्किलों से बचाने में समर्थ नजर आने लगेंगे। पढिए, सीखिए और कीजिए सुधार क्योंकि प्रकृति हमारी है और उसके बिना हम कुछ नहीं।

संदीप कुमार शर्मा,
प्रधान संपादक, प्रकृति दर्शन, मासिक पत्रिका

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “JANUARY 2024 मन का कल्पनालोक”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Shopping cart

0
image/svg+xml

No products in the cart.

Continue Shopping