Prakriti Darshan | Nature & Environment News | 18 July 2025
लगातार और तीव्र वर्षा के कारण दार्जिलिंग क्षेत्र में कई स्थानों पर भूस्खलन हुए, जिससे जनजीवन, संपत्ति और आवागमन बुरी तरह प्रभावित हो गया है। प्रसिद्ध हिल स्टेशन और चाय बागान वाला यह क्षेत्र, मॉनसून जनित आपदा की चपेट में है। “Heavy Rain in Darjeeling”

सड़कें बंद, गांवों का संपर्क टूटा
दार्जिलिंग जिले की कई मुख्य सड़कें, जैसे एनएच-10 और दार्जिलिंग को सिलीगुड़ी व कालिम्पोंग से जोड़ने वाले मार्ग, भूस्खलन और मलबे के कारण बंद हो गए हैं। इसके चलते पहाड़ी क्षेत्रों के कई दूरदराज़ गांवों का संपर्क टूट गया है, जिससे भोजन, पानी और दवाओं की आपूर्ति को लेकर गंभीर संकट पैदा हो गया है।”
जिला प्रशासन ने निवासियों और पर्यटकों से अनावश्यक यात्रा से बचने की अपील की है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय स्वयंसेवक राहत और सड़क खोलने का कार्य कर रहे हैं।
मृतकों की संख्या और नुकसान में वृद्धि “Heavy Rain in Darjeeling”
प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, दार्जिलिंग के विभिन्न हिस्सों में कम से कम चार लोगों की मौत भूस्खलन और घरों के गिरने से हुई है। कई आवासीय इमारतें आंशिक या पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गई हैं, जबकि कई मकान बहने के कगार पर हैं। प्रशासन ने जोखिमग्रस्त परिवारों को अस्थायी शिविरों में स्थानांतरित करना शुरू कर दिया है।
पर्यावरण चेतावनियों की अनदेखी – खतरे में दार्जिलिंग की नाज़ुक ढलानें “Heavy Rain in Darjeeling”
पर्यावरण विशेषज्ञों ने लंबे समय से चेताया है कि दार्जिलिंग में भूस्खलन का खतरा लगातार बढ़ रहा है।
मुख्य कारण हैं:
अत्यधिक निर्माण और अनियोजित शहरीकरण
वनों की कटाई और प्राकृतिक जलनिकासी तंत्र का नाश
तीखी ढलानों पर लगातार बढ़ता दबाव
बारिश के दौरान जल से संतृप्त मिट्टी और खड़ी ढलानें इस क्षेत्र को विशेष रूप से भूस्खलन के लिए संवेदनशील बना देती हैं।
हिमालय में जलवायु परिवर्तन का स्पष्ट संकेत
मॉनसून की अनियमितता, अचानक बाढ़ और ढलानों की अस्थिरता, यह सभी दार्जिलिंग और अन्य हिमालयी शहरों में जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे को दिखाते हैं।
पर्यावरणविद और योजनाकार सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि:
ईको-संवेदनशील ज़ोनिंग कानून लागू किए जाएं,
हरित अवसंरचना और अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित हों,’
और क्षेत्रीय विकास योजनाओं में सतत विकास दृष्टिकोण अपनाया जाए।
प्रकृति दर्शन – नेचर एंड एन्वायरनमेंट मैगज़ीन केंद्र और राज्य सरकार, शोधकर्ताओं, एनजीओ और नागरिकों से अपील करता है कि दार्जिलिंग में भूस्खलन और पारिस्थितिक संकट को राष्ट्रीय पर्यावरणीय आपातकाल की तरह लिया जाए। हाल की घटनाएं हमें याद दिलाती हैं कि प्रकृति और मानव विकास के बीच संतुलन बनाए बिना, पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।
FAQ “Heavy Rain in Darjeeling”
- दार्जिलिंग में हालिया भूस्खलन का मुख्य कारण क्या है?
लगातार और तीव्र बारिश, मिट्टी का जल से भर जाना, और खड़ी ढलानों पर अवैध निर्माण इसके प्रमुख कारण हैं। - कितने लोगों की मौत हुई है?
प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार कम से कम 4 लोगों की मौत हुई है और कई लोग घायल हैं। - कौन-कौन से इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हैं?
एनएच-10, दार्जिलिंग से सिलीगुड़ी और कालिम्पोंग जोड़ने वाली सड़कें, और कई पहाड़ी गांव सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। - क्या पर्यटकों को अभी दार्जिलिंग जाना सुरक्षित है?
नहीं, प्रशासन ने फिलहाल अनावश्यक यात्रा से बचने की सलाह दी है। - क्या प्रभावित लोगों के लिए राहत शिविर लगाए गए हैं?
हाँ, जिला प्रशासन ने अस्थायी शिविरों में परिवारों को स्थानांतरित किया है और राहत सामग्री वितरित की जा रही है। - भूस्खलन की समस्या दार्जिलिंग में बार-बार क्यों होती है?
खड़ी ढलानों, वनों की कटाई, अनियोजित निर्माण और मॉनसून के दौरान भारी बारिश के कारण यह क्षेत्र बेहद संवेदनशील है। - भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए क्या कदम जरूरी हैं?
ढलान स्थिरीकरण, हरित अवसंरचना, अर्ली वार्निंग सिस्टम और ईको-ज़ोनिंग कानून लागू करना जरूरी है। - क्या जलवायु परिवर्तन का इसमें योगदान है?
हाँ, मॉनसून की अनियमितता और तीव्र बारिश की घटनाएं जलवायु परिवर्तन का स्पष्ट संकेत हैं।
FAQ
- क्या ग्रामीण इलाकों में खाद्य और पानी की समस्या है?
हाँ, कई गांव बाहरी संपर्क से कटे हुए हैं, जिससे आपूर्ति बाधित हुई है। - राहत कार्य कौन कर रहा है?
एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, स्थानीय प्रशासन और स्वयंसेवक राहत और सड़क बहाली कार्य में जुटे हैं। - क्या स्कूल और सार्वजनिक भवन भी प्रभावित हुए हैं?
हाँ, कई स्कूल और सरकारी इमारतों को आंशिक क्षति हुई है, जिनमें से कुछ को खाली कराया गया है। - दार्जिलिंग की ढलानों पर निर्माण क्यों खतरनाक है?
ये ढलान प्राकृतिक रूप से कमजोर हैं, और अतिरिक्त भार या कटाई से भूस्खलन का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। - क्या सरकार ने अर्ली वार्निंग सिस्टम लागू किया है?
भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और मौसम विभाग द्वारा चेतावनी प्रणाली विकसित की जा रही है, लेकिन इसे और मजबूत करने की आवश्यकता है। - क्या चाय बागानों पर असर पड़ा है?
हाँ, कई चाय बागानों में मिट्टी धंसने और सड़क अवरोध के कारण काम प्रभावित हुआ है। - स्थानीय लोग अपनी सुरक्षा के लिए क्या करें?
चेतावनी पर ध्यान दें, जोखिम वाले क्षेत्रों से दूर रहें, और प्रशासनिक निर्देशों का पालन करें
संदर्भ (References):
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) – imd.gov.in
- दार्जिलिंग जिला प्रशासन प्रेस विज्ञप्ति, जुलाई 2025
- भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण भारत (GSI) – पूर्वी हिमालय के भूस्खलन क्षेत्र रिपोर्ट
- समाचार स्रोत – द हिंदू, टाइम्स ऑफ इंडिया, डाउन टू अर्थ मैगज़ीन
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