हर स्कूल हरियाली परियोजना
प्रकृति दर्शन (www.gdssngo.org) द्वारा शुरू की गई एक हरित क्रांति की ओर पहल
पर्यावरण संरक्षण आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। वनों की कटाई, बढ़ता प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन ने हमारे जीवन को गहराई से प्रभावित किया है। ऐसे में प्रकृति के प्रति जागरूकता और हरियाली को लाने की दिशा में कार्य करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य बन गया है। इसी उद्देश्य को लेकर “हर स्कूल हरियाली” परियोजना की शुरुआत की गई। एक सशक्त और प्रेरणादायक पहल, जिसे प्रकृति एवं पर्यावरण पर केंद्रित राष्ट्रीय मासिक पत्रिका प्रकृति दर्शन (www.prakritidarshan.com ) एवं गोपालदत्त शिक्षण समिति (www.gdssngo.org ) द्वारा प्रारंभ किया गया।
हमारा मानना था कि जब तक हम पर्यावरण के संकट और समाधान से बच्चों को अवगत नहीं कराएंगे तब तक सुधार की मुख्य राह नहीं मिलेगी। उन बच्चों को उस संकट के साथ समाधान के तौर पर उन्हें पौधारोपण की राह दिखाई गई। इस अभियान में जल्द ही कुछ और सहयोगी एनजीओ हमारे साथ आ गए। वर्तमान में यह परियोजना राष्ट्रीय मासिक पत्रिका प्रकृति दर्शन (www.prakritidarshan.com ), गोपाल दत्त शिक्षण समिति (GDSS NGO – www.gdssngo.org), World Foundation, तथा Green Universe and Research Foundation के सहयोग से संचालित की जा रही है। यह प्रयास एक सामूहिक जनभागीदारी का प्रतीक है, जिसमें स्कूलों, छात्रों, शिक्षकों, स्थानीय समुदायों और पर्यावरण प्रेमियों का बहुमूल्य योगदान शामिल है।

परियोजना की शुरुआत और उद्देश्य
“हर स्कूल हरियाली” परियोजना की शुरुआत उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जनपद से की गई। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य था –
– *स्कूल परिसरों में हरियाली बढ़ाना*,
– *छात्रों में पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता विकसित करना,
– *स्थानीय स्तर पर वृक्षारोपण को बढ़ावा देना
– *स्कूलों को स्वच्छ, हरा-भरा और जैव विविधता से परिपूर्ण बनाना।
परियोजना की शुरुआत प्राथमिक विद्यालयों से हुई और धीरे-धीरे इसे अन्य उच्च प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों तक विस्तारित किया गया।
वृक्षारोपण का कार्य और चयनित पौधों की विशेषताएं
“हर स्कूल हरियाली” अभियान के अंतर्गत नीम, आंवला, पीपल, बरगद, अर्जुन, शहतूत, सहजन आदि जैसे पौधों का रोपण किया गया। इन पौधों का चयन विशेष रूप से उनकी औषधीय गुणों, पर्यावरणीय महत्व और दीर्घकालिक जीवन को ध्यान में रखते हुए किया गया।
– नीम – रोग नाशक, वायुप्रदूषण को कम करने में सहायक
– आंवला – विटामिन C से भरपूर, स्वास्थ्यवर्धक
– पीपल और बरगद – जीवनदायी ऑक्सीजन देने वाले वृक्ष, पारिस्थितिक संतुलन में सहायक
– सहजन (मोरिंगा) – पोषण से भरपूर, जलवायु के लिए अनुकूल
अब तक इस परियोजना के अंतर्गत 15000 से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं, जिनकी देखभाल संबंधित विद्यालयों के शिक्षक, छात्र और स्वयंसेवी संगठन कर रहे हैं। यह देखभाल नियमित रूप से जल, खाद, और सुरक्षा की व्यवस्था के साथ की जा रही है।
सहयोगी संगठनों की भूमिका – एक अनुकरणीय उदाहरण
“हर स्कूल हरियाली” परियोजना में प्रकृति दर्शन पत्रिका के साथ-साथ गोपाल दत्त शिक्षण समिति (GDSS NGO), World Foundation, तथा Green Universe and Research Foundation जैसे समर्पित संगठनों का सहयोग अत्यंत सराहनीय रहा है। इन सभी संगठनों ने न केवल तकनीकी मार्गदर्शन, वृक्षारोपण की योजना और जागरूकता अभियान चलाए, बल्कि खुद मैदान में उतरकर स्थानीय विद्यालयों और समुदायों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य किया। इन सहयोगियों की भूमिका “आउट ऑफ टर्न” रही – यानी उन्होंने बिना किसी सरकारी सहायता के, अपने स्तर पर यह जिम्मेदारी उठाई और उसे सफलतापूर्वक निभाया।
वित्तीय सहयोग – व्यक्तिगत और सामुदायिक योगदान
इस परियोजना की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि इसमें केंद्र या राज्य सरकार की ओर से कोई अनुदान (Grant) नहीं लिया गया। न तो CSR फंड मिला, न ही कोई सरकारी सहायता।
इसके बावजूद यह परियोजना सफल हुई क्योंकि –
– स्थानीय व्यक्तियों ने अपने स्तर पर दान किया
– *विद्यालयों के शिक्षक, प्रधानाचार्य और छात्र ने इस कार्य को आत्मीयता से अपनाया
– *समुदाय के लोगों ने इस अभियान को अपनी जिम्मेदारी समझा और सहयोग दिया।
वृक्षों की खरीद, गड्ढा खुदाई, जैविक खाद, पानी की व्यवस्था, और संरक्षण के उपाय – सब कुछ व्यक्तिगत और सामूहिक योगदान से किया गया। यह अपने आप में एक “कम्युनिटी-ड्रिवन मॉडल” है, जो किसी भी सामाजिक अभियान के लिए आदर्श हो सकता है।
परियोजना का प्रभाव और जागरूकता
“हर स्कूल हरियाली” केवल पौधा लगाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक जागरूकता अभियान भी है। छात्रों के बीच वातावरण संरक्षण पर लेख प्रतियोगिता, चित्रकला, रैली, पोस्टर प्रदर्शनी जैसी गतिविधियाँ कराई गईं, जिससे बच्चों में प्रकृति के प्रति प्रेम व संरक्षण की भावना विकसित हुई।
इन गतिविधियों से न केवल बच्चे बल्कि उनके माता-पिता, शिक्षक और स्थानीय समुदाय भी जुड़े। स्कूलों के वातावरण में सकारात्मक परिवर्तन आया – परिसर हरे-भरे हुए, तापमान में कमी आई, और पक्षियों की चहचहाहट वापस लौटी।
भविष्य की योजना और आवश्यक सहयोग
“हर स्कूल हरियाली” को अन्य जिलों और राज्यों में भी विस्तार देने की योजना है।
इसके अंतर्गत:
– प्रत्येक स्कूल में मिनी बायोडायवर्सिटी पार्क बनाना,
– हर छात्र को एक पौधे का संरक्षक बनाना,
– वृक्षों की निगरानी के लिए मोबाइल ऐप का विकास
– *प्रत्येक विद्यालय को “हरित विद्यालय” घोषित करना प्रस्तावित है।
इस विस्तार के लिए भविष्य में केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं तथा CSR फंडिंग से वित्तीय सहयोग अपेक्षित है। यदि सरकारी या कॉर्पोरेट क्षेत्र से सहायता प्राप्त होती है, तो यह परियोजना और अधिक व्यापक रूप में, देश के दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुँचाई जा सकती है।
आभार और संदेश
“हर स्कूल हरियाली” परियोजना की सफलता उन सभी व्यक्तियों और संस्थाओं की देन है, जिन्होंने निस्वार्थ भाव से इस अभियान को समर्थन दिया।
प्रकृति दर्शन* परिवार, GDSS NGO, World Foundation, और Green Universe & Research Foundation के सभी सदस्यों को कोटिशः धन्यवाद, जिनके प्रयासों ने इसे एक जन-आंदोलन में परिवर्तित कर दिया।
एक विशेष धन्यवाद उन विद्यालयों के शिक्षकों, छात्रों और समुदायों को, जिन्होंने हर पौधे को अपने परिवार का सदस्य मानकर उसकी देखभाल की।
आप भी बनें इस हरित यात्रा का हिस्सा*
यदि आप भी “हर स्कूल हरियाली” परियोजना में योगदान देना चाहते हैं, तो कृपया [www.gdssngo.org](http://www.gdssngo.org) पर जाएँ और “Donate” बटन पर क्लिक करें।
आपका छोटा सा सहयोग एक बड़ा परिवर्तन ला सकता है – धरती को हरा-भरा और जीवन को खुशहाल बनाने की दिशा में।
आइए, मिलकर एक हरित और स्वच्छ भारत का निर्माण करें।
बालादत्त शर्मा, अध्यक्ष, गोपालदत्त शिक्षण समिति
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