₹25.00 Original price was: ₹25.00.₹24.00Current price is: ₹24.00.
हम चाहते हैं कि आंगन में गौरेया चहलकदमी करे तो आंगन भी चाहिए…आंगन खत्म हो रहे हैं क्योंकि हमारे गांव और घरों पर महानगरों की विचारधारा हावी होने लगी है। पहले घरों में रौशनदान थे, खुले रहते थे, हवा आती थी और साथ चली आती थी चहचहाती गौरेया। आजाद और बेखौफ गौरेया कहीं भी अपना घोंसला बनाती थी, हम इतने सहज और उदार थे कि उस घांस-फूस के घौंसले को तब तक नहीं हटाते थे जब गौरेया स्वयं आना बंद न कर दे…। हमने उसे स्नेह दिया, अपनापन दिया, घर दिया, सुरक्षा दी, माहौल दिया, जल दिया, छांव दी…लेकिन यह सब अब नहीं है। केवल पुरानी यादें हैं और एक भाव कि गौरेया सुरक्षित रहनी चाहिए…सोचिएगा कि गौरेया आखिर लौटे भी तो कैसे…वह किस जहां गई और इस जहां कैसे हो वापसी ? अभी भी कुछ हिस्सों में गौरेया हैं, जहां हैं वहां ऐसे प्रयास होने चाहिए कि उनकी संख्या तेजी से बढे़ और खूब चहचहाहट बिखेरे लेकिन जहां वह नजर नहीं आती वहां हालात सुधारने की ओर ध्यान देना होगा…दे दीजिए एक सुरक्षित कच्चा और गोरब से लिपा आंगन और घर में एक रौशनदान…जहां से स्वच्छ वायु के साथ किसी भी दिन भी पूरे भरोसे से चली आए अपनी गौरेया।
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed