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आपदाओं का दौर बहुत कठिन होता है, चाहे वह प्राकृतिक हों या फिर मानव जनित। दोनों ही स्थितियों में प्रकृति और मानव दोनों ही आहत होते हैं। असंख्य जीव और जन्तु भी अपनी जान गंवाते हैं लेकिन उनकी गिनती कभी नहीं होती। बहरहाल आपदाओं को रोके जाने की ओर कार्य होना चाहिए। प्रकृति की आपदाओं के पीछे भी मानव ही है क्योंकि हमारी दिनचर्या और जीवन चर्या ने सबकुछ बदलकर रख दिया है, सोचिएगा कि कितना कठिन समय होता है। अभी कुछ वर्ष पूर्व ही कोरोना का संकट हम सभी ने झेला है। कठिन दौर में हम बार बार अपने आप को संकट में झोंककर कौन सा उदाहरण प्रस्तुत करना चाहते हैं। बेहतर हो आपदाओं को रोकने की दिशा में जुट जाएं।
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