Description
पीली सी मुस्कान का यह वसंत
वसंत क्या है, कैसे महसूस होता है, कब आता है और कितना हमारे अंदर बस जाता है ? वसंत पर खूब साहित्य लिखा गया है, वसंत पर प्रकृति का जागृत चेहरा सभी देखते हैं और उसे अपने भावों में पिरोकर लिखते हैं। वसंत का सौंधापन, वसंत में प्रकृति के सबक, आगाज और अहसास सभी अनूठे होते हैं। यह वह समय होता है जब प्रकृति का रोम रोम पुलकित होता है और प्रकृति में जीने वाले छोटे से छोटे जीव भी इसे महसूस करते हैं। सर्दी बीत रही होती है और मौसम बदलने की ओर अग्रसर होता है। प्रकृति के चक्र के बदलाव का एक सुनहरा अहसास वसंत…। दोस्तों समय बदल रहा है, चक्र बदल रहा है। मौसम भी बदल रहा है, हम वसंत जैसे उत्सव को सदियों जीना चाहते हैं लेकिन यदि हालात नहीं बदले, हमारी विचारधारा प्रकृति को लेकर संरक्षणवादी नहीं हुई, यदि हमने आप का मंथन आरंभ नहीं किया तो यकीन मानिये कि वसंत तो आएगा लेकिन सौंधापन होगा और न ही पीली सी मुस्कान।
वसंत
तुम पीले से हो
प्रकृति के प्रति तुम्हारा प्रेम भी
पीला सा सौंधा है।
तुम्हारे प्रेम ने में सींचा है
आओ
मिलकर सजाएं एक वसंत
सदियों के लिए।
आईये वसंत पर उसकी पीली सी खुश्बू में खो जाएं और मंथन करें कि हमें कैसा वसंत चाहिए…?
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