Description
हम पक्षियों को लेकर मानवीय होंगे तभी यह धरती और प्रकृति बेहतर हो पाएगी। हमारा प्रकृति और पक्षियों को लेकर लापरवाह रवैया बहुत से संकटों का कारण बन रहा है। हमें सोचना चाहिए कि संकट हर दिन किसी मुश्किल हालात की ओर हमें ले जा रहा है लेकिन हम समझने के गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं। सोचिएगा यह धरती यदि तपिश झेलती है तो न केवल जल का संकट गहराएगा बल्कि उन मासूम परिंदों को क्या होगा उस तपिश को सहन नहीं कर पाएंगे। यह भी सोचिएगा कि तपिश सहन करने की क्षमता की हमारी भी कोई सीमा रेखा है उसके आगे हम भी इसी तरह एक दिन बिखर जाएंगे। सोचिएगा उन कठिन हालातों पर आखिर कब सोचना आरंभ करेंगे।
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