Prakriti Darshan | Nature & Environment News | 14 July 2025
उत्तराखंड वन विभाग ने एक अनोखी पौध संरक्षण पहल की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य हिमालयी क्षेत्र की दुर्लभ और औषधीय पौध प्रजातियों को संरक्षित करना है। यह योजना केवल जैव विविधता के संरक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि स्थानीय समुदायों को भी इससे आर्थिक, सामाजिक और पारिस्थितिक लाभ मिलेंगे। इस पहल को अन्य राज्य भी एक मॉडल के रूप में अपना सकते हैं। “Plant Conservation Scheme”
उत्तराखंड वन विभाग की नई पौध संरक्षण योजना क्या है?
वन विभाग ने ‘प्रजाति आधारित पौध संरक्षण मॉडल’ शुरू किया है जिसमें दुर्लभ, संकटग्रस्त और औषधीय पौधों की प्रजातियों को चिन्हित कर उनके संरक्षण, संवर्धन और पुनर्वास की कार्य योजना बनाई गई है।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- जैव विविधता को बनाए रखना
- पारंपरिक औषधीय ज्ञान का पुनर्जीवन
- पर्यावरणीय असंतुलन को रोकना
- स्थानीय समुदायों को आय के स्रोत प्रदान करना
योजना के अंतर्गत किन पौधों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा? “Plant Conservation Scheme”
- अतीश (Aconitum heterophyllum)
- कुटकी (Picrorhiza kurroa)
- जटामांसी (Nardostachys jatamansi)
- तिमूर, बेल, गिलोय, और अन्य दुर्लभ हिमालयी औषधीय पौधे
कहाँ-कहाँ यह योजना लागू की जा रही है?
शुरुआत अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, टिहरी, और चमोली जिलों में की गई है, जहाँ प्रजातियों की प्राकृतिक उपस्थिति पाई जाती है।
इस योजना से कौन लाभान्वित होगा?
- स्थानीय ग्रामीण वानिकी समितियाँ
- जैविक किसान
- वन विभाग
- शोधकर्ता और आयुर्वेदिक उद्योग
क्या इस योजना में आम नागरिकों की भागीदारी भी है? “Plant Conservation Scheme”
हाँ, गांवों में रहने वाले लोगों को प्रशिक्षण और रोजगार से जोड़ा जा रहा है ताकि वे पौधों की देखभाल, बीज संग्रहण और नर्सरी निर्माण में सहयोग करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- उत्तराखंड की इस नई योजना का नाम क्या है?
इसका नाम ‘प्रजाति आधारित पौध संरक्षण योजना’ रखा गया है। - किस प्रकार की पौधों को प्राथमिकता दी जा रही है?
दुर्लभ, संकटग्रस्त और औषधीय पौधों को। - इस योजना की शुरुआत कब हुई?
वर्ष 2025 की पहली तिमाही से इसे चरणबद्ध ढंग से लागू किया जा रहा है। - क्या यह योजना केवल पहाड़ी क्षेत्रों तक सीमित है?
हां, फिलहाल यह योजना पहाड़ी क्षेत्रों के हिमालयी बेल्ट तक सीमित है। - क्या इसका कोई आर्थिक लाभ भी है?
जी हां, स्थानीय लोगों को पौधों से जुड़ी गतिविधियों में रोजगार और आय का स्रोत मिल रहा है। - क्या इसमें वन विभाग के अलावा कोई और संस्था जुड़ी है?
कई वन अनुसंधान केंद्र, यूनिवर्सिटी विभाग और स्वयंसेवी संस्थाएं इसमें साझेदार हैं। - पौधों की निगरानी कैसे की जाएगी?
जीआईएस मैपिंग, मोबाइल ऐप्स और स्थानीय रिपोर्टिंग तंत्र से। - क्या पौधों के बीजों का संरक्षण भी किया जाएगा?
हां, बीज बैंक और नर्सरी के माध्यम से बीजों को संरक्षित किया जाएगा। - क्या इस योजना को अन्य राज्यों में लागू किया जा सकता है?
बिल्कुल, यह एक मॉडल योजना है जिसे अन्य हिमालयी और वन प्रदेशों में दोहराया जा सकता है।
FAQs
- क्या यह पहल स्कूलों-कॉलेजों से भी जुड़ी है?
हां, वन जागरूकता कार्यक्रमों के तहत छात्रों को जोड़ा जा रहा है। - इस योजना में किसकी ज़्यादा भागीदारी है – सरकार या जनता की?
यह योजना सरकार और जनता की साझेदारी मॉडल पर आधारित है। - क्या इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा?
हां, औषधीय बागान और पौध संरक्षण क्षेत्रों को ईको-टूरिज्म से जोड़ा जाएगा। - इस योजना के तहत पौधों की कौन सी प्रजातियाँ संरक्षित की जा रही हैं?
मुख्य रूप से अतीश, कुटकी, जटामांसी, गिलोय, तिमूर, और बेल जैसी प्रजातियाँ। - क्या वन क्षेत्र में बिना अनुमति जाने की अनुमति है?
नहीं, वन क्षेत्र में जाने के लिए विभाग से अनुमति आवश्यक है। - क्या इस योजना की कोई वेबसाइट या संपर्क साधन है?
योजना की जानकारी उत्तराखंड वन विभाग की वेबसाइट और संबंधित वन परिक्षेत्र कार्यालयों से प्राप्त की जा सकती है।
संदर्भ सूची (Reference List):
- उत्तराखंड वन विभाग
👉 https://forest.uk.gov.in - भारतीय वन्य जीव संस्थान (WII)
👉 www.wii.gov.in - राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (NMPB)
👉 https://nmpb.nic.in - पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC)
👉 www.moef.gov.in - “Himalayan Plant Conservation Strategy” – Ministry Report 2024
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