Prakriti Darshan | Nature & Environment News | 11 July 2025
क्या नासा अब ज्वालामुखियों पर अंतरिक्ष से नजर रख रहा है?
जी हां, नासा (NASA) अब अत्याधुनिक सैटेलाइट टेक्नोलॉजी और डेटा एनालिसिस टूल्स के माध्यम से पृथ्वी के कई सक्रिय और संभावित खतरनाक ज्वालामुखियों की निगरानी कर रहा है। उद्देश्य यह है कि है प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए समय रहते चेतावनी देना है। “NASA is Monitoring Volcanoes”
कौन-कौन से ज्वालामुखी नासा की निगरानी में हैं? NASA is Monitoring Volcanoes
नासा Earth Observatory के अनुसार, निम्नलिखित प्रमुख ज्वालामुखियों पर नज़र रखी जा रही है:
1. माउंट एटना (Mount Etna) – इटली
2. किलाऊआ (Kīlauea) – हवाई, अमेरिका
3. माउंट मेरापी (Mount Merapi) – इंडोनेशिया
4. पॉपोकैटेपेटल (Popocatépetl) – मैक्सिको
5. विल्लारिका (Villarrica) – चिली
6. सक्रिय ज्वालामुखी – रूस के कमचटका प्रायद्वीप में
7. न्यीिरगोंगो (Nyiragongo) – कांगो
क्या इनमें से कोई ज्वालामुखी खतरनाक स्थिति में हैं?
हाँ, नासा की रिपोर्ट्स के अनुसार निम्नलिखित ज्वालामुखी फिलहाल ‘हाई अलर्ट’ या ‘मॉडरेट एक्टिविटी’ की श्रेणी में हैं:
माउंट मेरापी (इंडोनेशिया): नियमित रूप से भभक रहा है।
किलाऊआ (हवाई): जून 2025 से फिर से सक्रिय।
पॉपोकैटेपेटल (मैक्सिको): लाखों लोगों के लिए खतरा।
विल्लारिका (चिली): लावा फव्वारे और राख उत्सर्जन में वृद्धि।
नासा कैसे करता है निगरानी?
नासा निम्नलिखित तकनीकों का उपयोग करता है:
Interferometric Synthetic Aperture Radar (InSAR): जमीन की सतह में बदलाव मापने के लिए
MODIS और VIIRS सेंसर: तापमान और गैस उत्सर्जन ट्रैक करने के लिए
Landsat और Sentinel सैटेलाइट्स: विज़ुअल इमेजिंग
Terra और Aqua सैटेलाइट्स: थर्मल इमेजिंग
इसका पर्यावरणीय महत्त्व क्या है? NASA is Monitoring Volcanoes
ज्वालामुखी विस्फोट सिर्फ इंसानी जीवन को ही नहीं, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को भी प्रभावित करते हैं। गैस उत्सर्जन, राख, और लावा के कारण:
वायु गुणवत्ता बिगड़ती है
स्थानीय जैव विविधता को खतरा
जल स्रोत दूषित हो सकते हैं
नासा की निगरानी इन प्रभावों को समय रहते समझने और रोकने में सहायक बन रही है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- नासा ज्वालामुखियों की निगरानी क्यों करता है?
ताकि समय पर चेतावनी दी जा सके और जान-माल की हानि से बचा जा सके। - नासा कौन-से उपकरणों से निगरानी करता है?
InSAR, MODIS, VIIRS, Landsat, Sentinel जैसे सैटेलाइट टूल्स से। - क्या नासा की निगरानी से पहले ही विस्फोट का पता लगाया जा सकता है?
हां, सतह में बदलाव, तापमान और गैस उत्सर्जन की मॉनिटरिंग से संभावित विस्फोट का अनुमान लगाया जा सकता है। - माउंट एटना क्यों महत्वपूर्ण है?
यह यूरोप का सबसे सक्रिय ज्वालामुखी है और बार-बार फटता है। - हवाई का किलाऊआ कितना खतरनाक है?
यह एक लगातार सक्रिय ज्वालामुखी है जिसने अतीत में बड़े स्तर पर विस्फोट किए हैं। - क्या भारत में भी नासा निगरानी करता है?
भारत में सक्रिय ज्वालामुखी कम हैं, पर अंडमान क्षेत्र में कुछ स्थान नासा की निगरानी में हैं। - नासा के अलर्ट से कैसे फायदा होता है?
सरकारों को समय रहते सावधान रहने और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में मदद मिलती है। - क्या ज्वालामुखी विस्फोट जलवायु परिवर्तन से जुड़ा है?
अप्रत्यक्ष रूप से हां, क्योंकि इससे गैसें और राख वातावरण में फैलती हैं।
FAQs
- क्या ज्वालामुखी विस्फोट के कारण भूकंप भी आता है?
कई बार विस्फोट से पहले हल्के या मध्यम भूकंप आते हैं। - नासा किस फ्री प्लेटफ़ॉर्म पर ये डेटा साझा करता है?
NASA Earth Observatory और FIRMS पोर्टल पर। - क्या कोई आम नागरिक भी यह डेटा देख सकता है?
हां, नासा का डेटा पब्लिक के लिए मुफ्त में उपलब्ध है। - ज्वालामुखी की निगरानी कब शुरू हुई?
नासा ने 1980 के दशक से ज्वालामुखी निगरानी के लिए उपग्रहों का उपयोग शुरू किया था। - क्या नासा भविष्य में और ज्वालामुखियों को कवर करेगा?
हां, योजना है कि अधिक क्षेत्रीय और समुद्री ज्वालामुखियों की भी निगरानी की जाए। - क्या नासा अन्य एजेंसियों के साथ सहयोग करता है?
हां, USGS, ESA, और स्थानीय जियो लॉजिकल सर्वे के साथ। - क्या भारत को नासा से डेटा लेना चाहिए?
बिल्कुल, इससे आपदा प्रबंधन में सहायता मिल सकती है।
निष्कर्ष
नासा की यह तकनीकी पहल हमें एक नई दृष्टि देती है कि प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी कैसे की जा सकती है। ज्वालामुखियों की निगरानी अब सिर्फ धरती से नहीं बल्कि अंतरिक्ष से भी संभव है, जिससे लाखों लोगों की जान और पर्यावरण दोनों को बचाने में मदद मिल रही है।
संदर्भ (References)
- NASA Earth Observatory – https://earthobservatory.nasa.gov
- NASA FIRMS – https://firms.modaps.eosdis.nasa.gov
- USGS Volcano Hazards Program – https://volcanoes.usgs.gov
- European Space Agency (ESA) Sentinel Program – https://www.esa.int
- Global Volcanism Program, Smithsonian – https://volcano.si.edu
PRAKRITI DARSHAN-NATURE AND ENVIRONMENT MAGAZINE
प्रकृति दर्शन एक प्रमुख ( हिंदी ) पत्रिका और डिजिटल मंच है।
पर्यावरण संरक्षण से जुड़े विषयों पर जनजागरूकता फैलाने का कार्य करता है।
यह पत्रिका विज्ञान, समाज और संवेदना का संगम है।
जो शोधकर्ताओं, छात्रों, एनजीओ, नीति निर्माताओं, प्रकृति प्रेमियों और जागरूक नागरिकों को एक साझा मंच प्रदान करती है।
आइए हम सब मिलकर इस पृथ्वी को संरक्षित और सुंदर बनाएँ। 🌿🌍
Join us in our mission to protect and celebrate the planet. 🌏💚
Click for more information :
🎗️Sponsor Prakriti Darshan Magazine – Support our environment mission.
- 📚 Explore the Environment Magazine – Read our latest and past issues.
- ✍️ Read Editor’s Article or Blog – Insightful thoughts from our editorial desk.
- 🌱 Join Membership – Be part of India’s leading green community.
- 🤝 Become an NGO Impact Story Partner – Share your grassroots impact nationwide.
- 🏢 Become a Company Partner – Showcase your CSR, ESG, or sustainability work.
- 👤 Become an Individual Partner – Volunteer, write, and raise your green voice.
- 📢 Advertise with Us – Reach eco-conscious readers across India.
- Eco Trails Newsletter
- Donate for “Hari Ho Vashundhara & Har school Hariyali “ Plantation campaign Associated Partner NGO :GDSS NGO www.gdssngo.org
SANDEEP KUMAR SHARMA,
EDITOR IN CHIEF,
PRAKRITI DARSHAN-NATURE AND ENVIRONMENT MAGAZINE www.prakritidarshan.com