Prakriti Darshan | Nature & Environment News | 21 July 2025
जैकॉबिन कुक्कू, जिसे भारत में ‘चातक’ या ‘मेघदूत पक्षी’ कहा जाता है, हर साल अफ्रीका से भारत प्रवास कर आता है और मानसून का संदेशवाहक माना जाता है। काले-सफेद पंखों वाला यह दुर्लभ पक्षी मई-जून में दिखाई देता है और किसानों के लिए बारिश की उम्मीद का संदेश लाता है। हालांकि यह सीधे बारिश नहीं लाता, लेकिन इसकी मौजूदगी मौसम बदलाव और पवन दिशा का संकेत देती है। भारतीय साहित्य और लोककथाओं में इसे ‘विरह’ और ‘बारिश की आस’ का प्रतीक भी माना गया है। “Jacobin Cuckoo”

जैकॉबिन कुक्कू पक्षी क्या है?
(Jacobin Cuckoo) जैकॉबिन कुक्कू , जिसे भारत में ‘चातक’ या ‘मेघदूत पक्षी’ कहा जाता है, एक दुर्लभ प्रवासी पक्षी है। यह मुख्य रूप से अफ्रीका से हर साल भारत आता है और मानसून का संदेशवाहक माना जाता है।
इसे ‘मेघदूत’ क्यों कहते हैं? “Jacobin Cuckoo”
भारतीय लोककथाओं और कविताओं में इसे ‘मेघदूत’ कहा गया है क्योंकि यह पक्षी आमतौर पर मानसून से ठीक पहले दिखाई देता है, जिससे किसानों और ग्रामीण इलाकों में बारिश की उम्मीद बढ़ जाती है।
यह पक्षी कहां पाया जाता है? “Jacobin Cuckoo”
यह अफ्रीका और अरब देशों से भारत की ओर प्रवास करता है और मानसून के मौसम में उत्तर और मध्य भारत के खुले मैदानों, झाड़ियों और खेतों में देखा जाता है।
क्या यह बारिश का संकेत देता है?
वैज्ञानिक मानते हैं कि इसका आगमन सीधे बारिश नहीं लाता, लेकिन इसकी प्रवासी गतिविधि मौसम परिवर्तन और पवन दिशा से जुड़ी होती है, जिससे यह मानसून का संकेतक माना जाता है।
क्या यह पक्षी संकटग्रस्त (Endangered) है?
फिलहाल यह संकटग्रस्त नहीं है, लेकिन शहरीकरण और आवास नष्ट होने से इसकी संख्या कुछ क्षेत्रों में घट रही है।
FAQs : “Jacobin Cuckoo”
- जैकॉबिन कुक्कू का दूसरा नाम क्या है?
– इसे ‘चातक पक्षी’ या ‘मेघदूत पक्षी’ कहा जाता है। - यह पक्षी भारत में कब आता है?
– हर साल मई-जून में, मानसून के आने से पहले। - यह कहां से आता है?
– मुख्य रूप से अफ्रीका और अरब क्षेत्रों से भारत की ओर प्रवास करता है। - क्या यह पक्षी बारिश लाता है?
– यह बारिश का कारण नहीं बनता, लेकिन इसका आगमन मानसून का संकेतक है। - इसका रंग और पहचान कैसी है?
– काले और सफेद पंख, लंबी पूंछ और विशिष्ट ‘कुक्कू’ जैसी आवाज़। - किस वजह से इसे ‘चातक’ कहा जाता है?
– लोककथाओं के अनुसार यह केवल वर्षा की बूंदें पीता है, इसलिए इसे ‘चातक’ नाम दिया गया। - क्या यह भारत में प्रजनन करता है?
– हाँ, मानसून के दौरान यह भारत में घोंसले बनाता है। - किस क्षेत्रों में अधिक देखा जाता है?
– राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में। - क्या यह पक्षी प्रवासी (Migratory) है?
– हाँ, यह अफ्रीका से प्रवास कर भारत आता है।
FAQs :
- क्या यह संकटग्रस्त प्रजाति है?
– नहीं, लेकिन इसके आवास में कमी से इसकी संख्या पर असर पड़ सकता है। - किस मौसम में यह सबसे अधिक सक्रिय रहता है?
– मानसून और प्रजनन मौसम (जून से सितंबर) में। - क्या यह पक्षी मानव बस्तियों के पास आता है?
– हाँ, अक्सर खेतों और गांवों के पास दिखाई देता है। - क्या इसका कोई सांस्कृतिक महत्व है?
– भारतीय साहित्य और कविताओं में इसे ‘विरह’ और ‘बारिश की आस’ का प्रतीक माना गया है। - क्या यह फसल या पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है?
– नहीं, यह मुख्य रूप से कीड़े-मकोड़े खाता है और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए उपयोगी है। - क्यों इसे ‘प्रकृति का मौसम वैज्ञानिक’ कहा जाता है?
– क्योंकि इसका आगमन अक्सर मानसून और मौसम बदलाव का संकेत देता है।
संदर्भ सूची:
- भारतीय पक्षी सर्वेक्षण (BNHS) – जैकॉबिन कुक्कू पर अध्ययन
- इंडियन बर्ड कंज़र्वेशन नेटवर्क – प्रवासी पक्षियों की रिपोर्ट
- नेशनल ज्योग्राफिक इंडिया – चातक पक्षी और मानसून
- भारतीय लोककथाएं और साहित्य – मेघदूत पक्षी का सांस्कृतिक महत्व
- प्रकृति दर्शऩ अभिलेखागार – मानसून और प्रवासी पक्षियों की रिपोर्ट
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SANDEEP KUMAR SHARMA,
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