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Glacier-Volcano: जैसे-जैसे ग्लेशियर पिघल रहे हैं, वैसे-वैसे ज्वालामुखी जाग रहे हैं!

Prakriti Darshan | Nature & Environment News | 11 July 2025

क्या ग्लेशियर के पिघलने से ज्वालामुखी फट सकते हैं?

हां, वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्लेशियर के पिघलने से ज़मीन के नीचे दबा हुआ दबाव (Pressure) कम हो जाता है, जिससे ज्वालामुखी (Volcano) फिर से सक्रिय हो सकते हैं। जैसे-जैसे बर्फ हटती है, मेंटल (mantle) में मौजूद मैग्मा को ऊपर आने का रास्ता मिलता है। “Glacier-Volcano”

 इस विषय पर ताजा अपडेट क्या है? “Glacier-Volcano”

रिपोर्ट के अनुसार, ग्लेशियर के पीछे हटने से  चिली के ज्वालामुखियों के पास विस्फोटों की तीव्रता और संख्या बढ़ी। (Goldschmidt Geochemistry Conference 2025 की रिपोर्ट)

शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि अंटार्कटिका में 100 से अधिक सबग्लेशियल (बर्फ के नीचे दबे) ज्वालामुखी इसी कारण भविष्य में सक्रिय हो सकते हैं।

Glacier-Volcano-Prakriti Darshan- Nature and Environment Magazine
Glacier-Volcano-Prakriti Darshan- Nature and Environment Magazine

 NASA का क्या कहना है? “Glacier-Volcano”

NASA ने GRACE और GRACE-FO सैटेलाइट्स के माध्यम से यह पाया कि:

अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड हर साल 130+ बिलियन टन बर्फ खो रहे हैं।

यह बर्फ जब हटती है तो ज़मीन पर दबाव घटता है और पृथ्वी की सतह ऊपर उठती है, जिससे अंदर मौजूद मैग्मा सक्रिय हो सकता है।

हालांकि NASA ने सीधे “ग्लेशियर पिघलने से ज्वालामुखी विस्फोट” का दावा नहीं किया है, पर उन्होंने इसे संभावित भू-वैज्ञानिक प्रभाव माना है।

 वैज्ञानिक क्या कहते हैं?

प्रो. पाब्लो मोरेनो-यागर (University of Wisconsin-Madison): “बर्फ के हटने से मैग्मा चैंबर में गैसें फैलती हैं, जिससे विस्फोट की संभावना बढ़ती है।”

ब्रैड सिंगर (US Geological Survey): “ये प्रक्रिया वैसे ही है जैसे शैम्पेन की बोतल खोलते ही गैस बाहर आ जाती है।”

क्या ये घटना पहले भी हो चुकी है? Glacier-Volcano”

 30 से 50 गुना तक ज्वालामुखी गतिविधियां बढ़ गई थीं, जब आइसलैंड में  (आखिरी हिम युग) के बाद बर्फ पिघली थी,

 (FAQs)

1. क्या ग्लेशियर का पिघलना ज्वालामुखी को जगा सकता है?
हां, बर्फ हटने से दबाव घटता है और मैग्मा को ऊपर आने का रास्ता मिलता है।

2. कौन-कौन से क्षेत्र सबसे ज्यादा खतरे में हैं?
अंटार्कटिका, आइसलैंड, चिली और अलास्का।

3. NASA इस पर क्या कह रहा है?
NASA के डेटा से ग्लेशियर की तीव्र गति से हो रही हानि सामने आई है, जो ज्वालामुखीय गतिविधियों को प्रभावित कर सकती है।

4. अंटार्कटिका में कितने ऐसे ज्वालामुखी हैं?
लगभग 100 से ज्यादा सबग्लेशियल वोल्केनो।

5. क्या ये विस्फोट खतरनाक होंगे?
हां, यदि बर्फ के नीचे विस्फोट होता है तो यह भारी मात्रा में राख और गैस छोड़ सकता है।

6. क्या इससे जलवायु परिवर्तन और तेज हो सकता है?
हां, ज्वालामुखी से निकलने वाली CO₂ और अन्य गैसें वैश्विक तापमान को बढ़ा सकती हैं।

7. क्या अभी कोई सक्रिय ज्वालामुखी है जो बर्फ की वजह से सोया हुआ था?
वैज्ञानिकों को ऐसे संकेत मिल रहे हैं, विशेषकर चिली और आइसलैंड में।

8. क्या भविष्य में अधिक विस्फोट हो सकते हैं?
जी हां, ग्लोबल वार्मिंग के साथ यह संभावना बढ़ रही है।

(FAQs)

9. क्या ज्वालामुखी विस्फोट से ठंडक भी होती है?
हां, शुरुआती कुछ वर्षों में राख और सल्फर के कारण वातावरण ठंडा हो सकता है।

10. क्या हमें इसके लिए तैयारी करनी चाहिए?
बिलकुल, निगरानी और चेतावनी तंत्र को और मज़बूत करने की ज़रूरत है।

11. क्या यह चेतावनी भविष्य में और बढ़ेगी?
अगर बर्फ का पिघलना इसी गति से जारी रहा, तो जोखिम बढ़ेगा।

12. क्या यह प्रभाव भारत पर भी पड़ेगा?
सीधा नहीं, लेकिन वैश्विक जलवायु पर असर से अप्रत्यक्ष प्रभाव संभव है।

13. क्या इस पर रिसर्च जारी है?
हां, दुनियाभर की संस्थाएं इस पर अध्ययन कर रही हैं।

14. क्या हमें डरने की ज़रूरत है?
नहीं, लेकिन सजग रहने और जागरूक रहने की आवश्यकता है।

15. क्या बर्फ का पिघलना रुक सकता है?
यदि वैश्विक तापमान को सीमित किया जाए, तो यह प्रक्रिया धीमी हो सकती है।

📚 संदर्भ सूची (References):

  1. LiveScience Report – July 2025
  2. NASA Ice Sheet Monitoring – GRACE/FO
  3. Smithsonian Magazine Article on Glacial Volcanism
  4. Times of India Science Update – July 2025
  5. The Guardian – Volcanic Risk from Melting Glaciers

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