जल प्रबंधन इस दुनिया के सबसे बेहतर और आवश्यक कार्यो में एक है। भूजल प्रबंधन को गंभीरता से समझना होगा। यह कार्य प्रकृति स्वयं करती है। लेकिन फिर भी भूजल को बेहतर बनाना इस दौर में आसान नहीं है। संकट के समाधान पर कुछ करना चाहते हैं तो यह मुश्किल भी नहीं है। भूजल को समझने के लिए प्रकृति के चक्र को समझना जरुरी है। प्रकृति के साथ दोस्ताना व्यवहार बनाना होगा। पर्यावरण भूजल वैज्ञानिक सुधीन्द्र मोहन शर्मा जी का कहना है पर्यावरण पर सीखना और समझना ही मूल है।
पर्यावरण भूजल वैज्ञानिक सुधीन्द्र मोहन शर्मा – यह दौर पर्यावरण के लिए बेहद कठिन है
देश के विभिन्न उच्च शैक्षणिक संस्थाओं में भूजल प्रबंधन पर व्याख्यान देने वाले भूजल वैज्ञानिक सुधीन्द्र मोहन शर्मा जी बताते हैं कि यह दौर पर्यावरण के लिए बेहद कठिन है। यदि हम सीख गए और समझ गए तो संकट के तत्काल बाद समाधान खोजने की दिशा में कार्य करने लगेंगे।
भूजल संवर्धन के 400 से अधिक बडे़ प्रोजेक्ट्स डिजाइन किए

पर्यावरण भूजल वैज्ञानिक सुधीन्द्र मोहन शर्मा जी ग्रामीण पेयजल सुरक्षा विशेषज्ञ, भूजल वैज्ञानिक के तौर पर देशभर में पहचाने जाते हैं। आपने Geologist में M.Sc, Applied Geology में M.Tech. दोनों उपाधियां विश्वविद्यालय में मेरिट के साथ प्राप्त की हैं। आप भारत सरकार के पेयजल एंव स्वच्छता मंत्रालय में पेयजल सुरक्षा प्रोजेक्ट के आप मुख्य राष्ट्रीय अधिकारी रह चुके हैं। भारत के विभिन्न स्थानों पर अरुणाचल प्रदेश से तमिलनाडू तक और पश्चिम बंगाल से गुजरात तक आपने भूजल संवर्धन के 400 से अधिक बडे़ प्रोजेक्ट्स डिजाइन किए हैं, जिनका क्षेत्रफल 25 हेक्टेयर से 400 वर्ग किलोमीटर तक है।
राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की के कार्यकारी समूह के सदस्य-पर्यावरण भूजल वैज्ञानिक सुधीन्द्र मोहन शर्मा
देश के ख्यात दैनिक समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में जल, पर्यावरण, ग्रामीण विकास और मौसम के विषय पर आलेख प्रकाशित हो चुके हैं, चैनल पर आप इन विषयों पर प्रमुख वार्ताकार के तौर पर आमंत्रित किए जाते हैं। जाने माने जल विशेषज्ञ राजेंद्र सिंह जी की संस्था तरुण भारत संघ से लेकर विश्व बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक, आईआईटी रुड़की, इंजीनियरिंग स्टॉफ कॉलेज हैदराबाद और कई राज्य प्रशासनिक अकादमियों में आप जल प्रबंधन पर व्याख्यान हेतु आमंत्रित किए जाते हैं। आप भारत सरकार के राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की के कार्यकारी समूह के आप सदस्य हैं, ‘जल बिरादरी’ संस्था के सदस्य हैं, जल एवं तालाब संरक्षण समिति ट्रस्ट, इंदौर के ट्रस्टी हैं। पर्यावरण की राष्ट्रीय पत्रिका ‘प्रकृति दर्शन’ के आप मुख्य संपादकीय सलाहकार हैं।
Best Biodiversity Concentration Award
मध्यप्रदेश शासन द्वारा पर्यावरण भूजल वैज्ञानिक सुधीन्द्र मोहन शर्मा जी को Best Biodiversity Concentration Award से सम्मानित किया जा चुका है। रोटरी में भी आपको बेस्ट रोटेरियन, रोटरी रत्न आदि कई अवार्डस से सम्मानित किया गया है। आप आईआईएम इंदौर के छात्रों के प्रोजेक्ट गाइड भी आप रहे हैं। रोटरी इन्टरनेशनल में आप बहुत सक्रिय हैं और क्लब अध्यक्ष और असिस्टेंट गवर्नर के पद पर रहे हैं। रोटरी लीडरशिप इंस्टीटयूट में आप फैकल्टी ट्रेनर हैं और पश्चिमी और उत्तर भारत डिवीजन के आप सचिव हैं।
शिमला की जल सुरक्षा और इंदौर के तालाबों पर आप कार्य कर रहे हैं

युवा और विद्यार्थी सेवा में आपकी विशेष रुचि है और Youth Exchange Team Leader के रुप में मलेशिया का भ्रमण कर चुके हैं। भारत के तकरीबन 350 विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और विद्यालयों में आप 35000 विद्याथियों को आप जलप्रबंधन पर संबोधित कर चुके हैं। वर्तमान में आप Climate Change and Water Resources विषय पर शिमला की जल सुरक्षा और इंदौर के तालाबों पर आप कार्य कर रहे हैं। यूरोप, मध्य अफ्रीका और दक्षिण एशिया सहित अनेक स्थानों की यात्रा आप चुके हैं।
सुधार के जमीनी प्रयास-पर्यावरण पर सीखना

आप सुधार के लिए अपने ज्ञान का जमीनी प्रयासों में बखूबी उपयोग करते हैं और विषय की गंभीरता से समझने और समझाने में हमेशा भरोसा रखते हैं। ग्राउंड वॉटर को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में कार्य किया है और यही कारण है कि वे जानते हैं कि सुधार कहां और कैसे संभव हो सकेगा। उनका कहना है कि प्रकृति को समझने के लिए हमें जल्द से जल्द गांवों की ओर रुख करना चाहिए क्योंकि गांव ही प्रकृति के संरक्षण की राह दिखा सकते हैं।
तब दिशा बदल गई

एक समय ऐसा भी था जब आरंभिक दिनों में भूवैज्ञानिक के तौर पर जब एक दशक में 3 से 4 हजार हैंडपंप की लोकेशन पर काम करने अनुभव मिला तब समझ आया कि भविष्य में ऐसा भी समय आएगा जब खोजने के लिए भी हमारे पास भूजल नहीं बचेगा। उसी के बाद से दिशा बदल गई और जल प्रबंधन पर मुख्य तौर पर कार्य करना आरंभ कर दिया। आपने भारत सरकार के साथ कार्य समय उस समय में ग्रामीण नीतियों पर कार्य किया तथा सस्टेनेबिलिटी गाइड लाइंस बनाई। इसके अलावा व्यावसायिक तौर पर औद्योगिक क्षेत्रों में भूजल प्रबंधन परियोजनों पर भी काम किया है।
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