Prakriti Darshan | Nature & Environment News | 11 July 2025
वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिक महासागरों में लवणता (Salinity) के बढ़ते स्तर को लेकर चिंता जताई है। क्या यह ग्लोबल वार्मिंग का नया संकेत है?
क्या है यह खबर?
हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक चौंकाने वाली खोज की है-अंटार्कटिक महासागर का पानी पहले से ज़्यादा खारा होता जा रहा है। यह परिवर्तन धीरे-धीरे लेकिन लगातार हो रहा है और इसके पीछे का कारण (Ocean Circulation)महासागरीय परिसंचरण, बर्फ के पिघलने और ग्लोबल वार्मिंग में बदलाव को बताया जा रहा है। “Antarctica’s water getting saltier? “
सवालों के माध्यम से खबर की गहराई में
1. अंटार्कटिक महासागर का पानी क्यों हो रहा है ज़्यादा नमकीन?
जलवायु परिवर्तन के कारण दक्षिणी महासागर की सतह की बर्फ तेजी से पिघल रही है। इससे समुद्र के पानी का घनत्व और तापमान बदल रहा है। जिससे कुछ क्षेत्रों में लवणता बढ़ रही है।
2. यह लवणता बढ़ना कितना गंभीर है?
इससे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन पैदा हो सकता है। नमक की मात्रा अधिक होने पर समुद्री जीवों और प्लवक (plankton) के जीवन पर असर पड़ सकता है।
3. क्या इसका संबंध समुद्री धाराओं से है?
हाँ, अंटार्कटिक सर्कम्पोलर करंट (ACC) और गहरे समुद्री जल की धारा इस बदलाव में प्रमुख भूमिका निभा रही हैं।
4. लवणता बढ़ने का सीधा कारण क्या माना जा रहा है? “Antarctica’s water getting saltier? “
शोधकर्ताओं के अनुसार समुद्र की गहराई में जाने वाला खारा पानी अधिक घना हो जाता है। और यह पानी तेजी से गहराई में पहुंचकर महासागर के तापमान और संरचना को प्रभावित करता है।
5. क्या इसका प्रभाव भारत पर भी पड़ सकता है?
जी हाँ, समुद्री जलवायु में होने वाला कोई भी बड़ा परिवर्तन वैश्विक स्तर पर प्रभाव डालता है। इससे मानसून प्रणाली, समुद्र का तापमान और मत्स्य-आधारित आजीविका प्रभावित हो सकती है।
वैज्ञानिक विश्लेषण और रिपोर्ट्स क्या कहती हैं? “Antarctica’s water getting saltier? “
नेचर जियोसाइंस (Nature Geoscience) में प्रकाशित एक रिसर्च पेपर के अनुसार, अंटार्कटिक बॉटम वॉटर (Antarctic Bottom Water) पिछले दशकों में गर्म और नमकीन हुआ है, जिससे समुद्र की परतों में स्थायित्व की स्थिति बदल रही है।
विशेषज्ञों की चेतावनी
जलवायु वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर यह ट्रेंड यूं ही चलता रहा, तो समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में गंभीर असंतुलन उत्पन्न हो सकता है, जिससे ग्लोबल सी लेवल राइज़ और मौसम की चरम घटनाएं और अधिक तीव्र होंगी।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs) “Antarctica’s water getting saltier? “
1. अंटार्कटिक महासागर का पानी नमकीन क्यों हो रहा है?
समुद्र में बर्फ पिघलने के बाद भारी-घनत्व वाले ठंडे पानी के नीचे धंसने की प्रक्रिया में बदलाव हो रहा है। इससे लवणता (नमक की मात्रा) कुछ क्षेत्रों में बढ़ रही है क्योंकि नमक वाला पानी गहराई में फंसा रह जाता है और ऊपर ताज़ा पानी कम मिलता है।
2. क्या यह केवल सतही परिवर्तन है या गहराई में भी असर है?
यह केवल सतही नहीं, बल्कि समुद्र की गहराइयों तक असर डाल रहा है। गहराई में स्थित “Antarctic Bottom Water” अधिक नमकीन और गर्म हो रहा है, जिससे महासागर की संरचना बदल रही है।
3. क्या ग्लेशियर के पिघलने का इसमें योगदान है?
जी हाँ, यह एक प्रमुख कारण है। जब ग्लेशियर पिघलते हैं, तो ताज़ा पानी समुद्र में आता है, लेकिन तापमान असंतुलन और परिसंचरण रुकावट के कारण नमक का वितरण गड़बड़ा जाता है।
4. इस बदलाव से किन समुद्री जीवों को खतरा है?
समुद्री प्लवक (plankton), क्रिल, और छोटे जीव जिन पर बड़ी मछलियाँ और समुद्री पक्षी निर्भर करते हैं, सबसे पहले प्रभावित होते हैं। उनके पर्यावरण में थोड़ा सा बदलाव भी उनकी संख्या घटा सकता है।
5. क्या इससे समुद्री बर्फ की मोटाई पर असर पड़ेगा?
हाँ, यदि गहरे पानी की गर्मी और लवणता ऊपर की ओर आने लगती है, तो समुद्री बर्फ तेजी से पिघल सकती है और उसकी मोटाई कम हो सकती है।
6. क्या यह ग्लोबल वार्मिंग का संकेत है?
बिलकुल। यह एक मजबूत संकेत है कि जलवायु परिवर्तन केवल तापमान ही नहीं, बल्कि महासागरीय संतुलन को भी बदल रहा है।
7. भारत की जलवायु पर इसका प्रभाव क्या हो सकता है?
यदि महासागर का तापमान और प्रवाह बदलता है, तो उसका सीधा असर मानसून, समुद्रतटीय जलस्तर और मछली पकड़ने वाली अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।
FAQs
8. क्या यह बदलाव मानसून पर असर डालेगा?
हाँ, समुद्री तापमान में बदलाव दक्षिण-पश्चिम मानसून की ताकत और समय को प्रभावित कर सकता है। इससे कभी-कभी बारिश ज़्यादा या कम हो सकती है।
9. क्या इससे समुद्री धाराओं की दिशा बदलेगी?
सम्भावना है। लवणता और तापमान महासागरीय धाराओं की गति और दिशा को नियंत्रित करते हैं। इन परिवर्तनों से वैश्विक समुद्री परिसंचरण प्रभावित हो सकता है।
10. अंटार्कटिक बॉटम वॉटर क्या है?
यह अंटार्कटिका से निकलने वाला अत्यंत ठंडा, घना और नमकीन पानी है जो समुद्र की गहराई में बहता है।
यह वैश्विक समुद्री प्रणाली का एक अहम हिस्सा है।
11. क्या यह लवणता बदलाव रिवर्स हो सकता है?
यदि ग्रीनहाउस गैसें कम की जाएं और ग्लेशियर पिघलना रुके, तो इस परिवर्तन को धीमा किया जा सकता है।
लेकिन पूरी तरह से पलटना मुश्किल होगा।
12. समुद्री जीवन पर इसका क्या जैविक असर होगा?
प्रजनन चक्र, आहार श्रृंखला और जीवों की प्रवास क्षमता प्रभावित होगी। कुछ प्रजातियाँ विलुप्त हो सकती हैं या दूसरे क्षेत्रों में पलायन कर सकती हैं।
13. क्या इससे समुद्र की अम्लीयता (Ocean Acidity) बढ़ेगी?
प्रत्यक्ष रूप से नहीं, लेकिन समुद्री परिसंचरण में रुकावट CO₂ के अवशोषण को प्रभावित कर सकती है, जिससे अम्लीयता में अप्रत्यक्ष बढ़ोतरी हो सकती है।
14. इस पर वैज्ञानिक क्या समाधान सुझा रहे हैं?
वैज्ञानिक लगातार निगरानी, सैटेलाइट इमेजिंग और डेटा मॉडलिंग के ज़रिए इसे समझने की कोशिश कर रहे हैं।
ग्लोबल वॉर्मिंग को नियंत्रित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है।
15. आम लोगों को इसके लिए क्या सतर्कता बरतनी चाहिए?
हमें कार्बन फुटप्रिंट घटाने की कोशिश करनी चाहिए—जैसे कि प्लास्टिक का कम उपयोग, ऊर्जा की बचत और जागरूकता फैलाना। यह संकट दूर का नहीं, सबका साझा है।
संदर्भ सूची (Reference List)
- Nature Geoscience (2024) – Increased Salinity in Antarctic Bottom Waters
- NASA Earth Observatory – Antarctic Sea Ice and Salinity Observations
- National Snow and Ice Data Center (NSIDC) – Climate Change in the Polar Regions
- IPCC Climate Report 2023 – Oceanic Changes and Sea Level Rise
- The Guardian (June 2024) – “Antarctica’s Salty Secret: Warming Oceans”
- Science Daily – Impact of Changing Salinity on Ocean Currents
- UNEP Polar Environment Study – Antarctic Changes and Global Impact
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