Become a Member & enjoy upto 50% off
Enjoy Free downloads on all over the world
Welcome to Prakriti Darshan
Nature Lover - Subscribe to our newsletter
Donate for greener & cleaner earth
Welcome to Prakriti Darshan
Join our Community
Previous
Previous Product Image

OCTOBER 2021 खुशी चाहिए, प्रकृति के हो जाईये

Original price was: ₹25.00.Current price is: ₹24.00.
Next

DECEMBER 2021 प्रकृति, यात्रा और हम

Original price was: ₹25.00.Current price is: ₹24.00.
प्रकृति, यात्रा और हम

Description

प्रकृति संरक्षण के लिए पुरातन संस्कृति को अपनाना होगा

जीवन के उत्सवी रंगों के बीच हम हर बार प्रकृति के करीब होते हैं, लेकिन हम उसे स्वीकारते नहीं हैं। प्रकृति के रंगों से ही हमारे जीवन में उत्सवी रंग हैं और हमारे उत्सवों में भी प्रकृति के रंग बहुत चटख हैं…।
संस्कृति और प्रकृति पर यह महत्वपूर्ण अंक क्योंकि हमें लगता है कि प्रकृति और संस्कृति एक दूसरे में प्रवाहित होती हैं, दो निर्मल नदियों की भांति। प्रकृति के बिना संस्कृति अधूरी है और संस्कृति में प्रकृति के संरक्षण के सबक निहित हैं। दीपावली हमारे देश का महापर्व है और महसूस कीजिए कि अमूमन इस पर्व तक ठंड की दस्तक हो चुकी होती है, मौसम का चक्र जब सुचारू था तब पर्वों का आनंद भी अनूठा हुआ करता था, अब सबकुछ पहले जैसा नहीं है। अब बारिश हो रही है, कहीं पहाड़ दरक रहे हैं। प्रकृति और संस्कृति की दो नदियां अब एक साथ एक दिशा में प्रवाहित नहीं हो रही हैं। हम हमारे देश की संस्कृति को समझें तो स्पष्ट हो जाता है कि उसकी संरचना ही प्रकृति की सुरक्षा को ध्यान में रखकर की गई है। हमारे त्योहार हमें बहुत बेहतर सीख देते हैं, सोचना होगा कि आखिर हम गलत कहां हो गए। संस्कृति की रक्षा के साथ हम प्रकृति का संरक्षण भूल गए। हम वृक्षों की पूजा करते हैं, लेकिन जंगल काटे जाते हैं तब हम अंदर से चीख नहीं रहे हैं। हम जल की पूजा करते हैं लेकिन नदियां प्रदूषित होती हैं तब भी हमें दर्द नहीं होता। ऐसे बहुत से उदाहरण हैं जो हमें समझाते हैं कि हमें एक बार फिर से सोचना होगा, हमें अपनी पुरातन संस्कृति को दोबारा पूरे मन से अपनाना होगा। त्योहार हमें उत्साह देते हैं तो उनमें प्रकृति का कोई गहन सबक भी निहित होता है हमें उस सबक को समझने की आवश्यकता की है।
इस दीपावली हम संकल्प लें कि संस्कृति और प्रकृति दोनों का ही संरक्षण हमें करना है, हमें प्रकृति के मौजूदा हालात को सुधारने के लिए कृतसंकल्पित होना होगा। इस दीपावली दीये के साथ अपने मन में इस भरोसे के उजास को संचारित करें कि हम प्रकृति का संरक्षण करेंगे और भावी पीढ़ियों को हम एक बेहतर प्रकृति सौंपेंगे।

संदीप कुमार शर्मा, संपादक, प्रकृति दर्शन

 

BALA DATT SHARMA

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “NOVEMBER 2021 प्रकृति और संस्कृति”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Shopping cart

0
image/svg+xml

No products in the cart.

Continue Shopping