MAY 2023 धरा कितनी हरी, कितनी स्याह

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हम आखिर चाहते क्या हैं…? धरा को धरा ही रहने दीजिए। मनुष्य को इस सृष्टि में सबसे तेज बौद्विक क्षमता वाला माना जाता है तो क्या इस बौद्विक क्षमता का उपयोग प्रकृति और अपने ही सर्वनाश में किया जाना चाहिए या फिर इस खूबसूरत प्रकृति को सदियों के लिए संरक्षित और सौम्य बनाना हमारा कर्म होना चाहिए। खैर, जागने के लिए अभी चेतावनी हैं लेकिन यह भी संभव है कि यदि अब भी तंद्रा भंग नहीं हुई तो यकीन मानिय कि संभव हो कि इस रात की कोई सुबह न हो…बेहतर है हम अभी इसी पल से उठ खडे हों और जुट जाएं अपने सर्वश्रेष्ठ कर्म में। धरा का कंपन और धरा पर जीवन के अवसरों का सिमटना हमारे भविष्य के दरवाजे बंद कर रहा है। सोचिए, जागिये और जगाईये…मिलकर धरा को जीने लायक बनाईये…क्योंकि हमीं इसके दोषी हैं…।

 

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