ऋतुओं का संधिकाल March 2025

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पीली उम्र और पीले पत्तों की एक सी दास्ता है। पीले पत्ते आखिकार वृक्ष से गिर जाते हैं और एक दिन उम्रदराज शरीर भी थककर हमेशा के लिए शून्य में समा जाता है। जीवन में प्रकृति और प्रकृति का जीवन से गहरा नाता है। बात ऋतुओं के संधिकाल की करें तो हम पाएंगे कि अब सबकुछ पहले की तरह नहीं है। बदल रहा है, मौसम के चक्र में काफी परिवर्तन हो रहा है। सोचिएगा कुछ साल पूर्व तब जब मौसम चक्र अपनी तरह से, अपने समय से अग्रसर होता था और उस दौरान सबकुछ कितना सुखद था, लेकिन अब आखिर वह सुख और सुखद अहसास कहीं न कहीं गहरी कसक में तब्दील होते जा रहे हैं। सोचना होगा कि हम उस चक्र और उस महत्वपूर्ण संधिकाल के समय के गड़बड़ होने पर खामोश रहे, नहीं जागे तो इससे असंख्य खतरे सामने आएंगे जिनसे बचना हमारे बस की बात नहीं रह जाएगी।

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